भारत और चीन पर ऊर्जा की खपत को नियंत्रण में रखने के लिए आठ औद्योगिक देशों का संगठन (जी 8) दबाव डालेगा।
इस बार खास बात यह है कि इस संगठन के एक प्रमुख देश जापान को भी लगने लगा है कि विश्व के तेजी से विकसित हो रहे इन दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग के बिना ऊर्जा संरक्षण मुमकिन नहीं हो सकता।
अमेरिका के ऊर्जा सचिव सैमुएल बोडमैन, जापान के व्यापार मंत्री अकीरा अमारी और जी 8 देशों के अन्य अधिकारी चीन के स्टेट एनर्जी ब्यूरो, दक्षिण कोरिया के नॉलेज इकोनॉमी मंत्री ली यून हू और भारतीय अधिकारियों के साथ उत्तरी जापानी शहर आओमोरी में ऊर्जा संरक्षण मसले पर विचार करने के लिए बैठक करने वाले हैं।
हालांकि, भारत और चीन पहले ही प्रदूषण मुद्दे को ध्यान में रखते हुए कोई दूरगामी आश्वासन देने से कतराते रहे हैं और उनका कहना है कि पहली प्राथमिकता तो आर्थिक विकास ही होनी चाहिए। इधर अमारी ने इसी हफ्ते टोक्यो में कहा था, ‘भारत और चीन की भूमिका प्रमुख होगी।’
उन्होंने कहा कि इन दोनों की ओर से किसी आश्वासन के बिना रणनीति बनाना निरर्थक होगा। जी 8 के पर्यावरण मंत्रियों ने 26 मई को यह संकल्प लिया था कि 2050 तक हानिकारक गैसों का उत्सर्जन 50 फीसदी तक कम किया जाएगा। गौरतलब है कि 2012 में क्योटो प्रोटोकॉल की समयावधि खत्म हो रही है और उसके बाद नए पर्यावरण संधि के निर्माण के लिए इस हफ्ते के आखिर में हो रही इस बैठक से कोई फायदा मिलने की गुंजाइश है।
जी 8 देशों के गुट में शामिल देश अमेरिका, जापान, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और रूस के अलावा भारत, चीन और दक्षिण कोरिया की ऊर्जा आवश्यकताएं कुल वैश्विक ऊर्जा मांग की 65 फीसदी हैं। इस बैठक में मंत्री तेल से हटकर ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों जैसे पवन और सौर ऊर्जा के तकनीक की अदला बदली पर विचार करेंगे।
इन 11 देशों के बीच किसी ऐसे समझौते पर सहमति बनाने पर भी विचार किया जाएगा जिसके आधार पर किसी राष्ट्र के कुल ऊर्जा खपत को नियंत्रण में रखा जा सकेगा। इस वर्ष के अंत तक ऊर्जा खपत को काबू में लाने के लिए इंटरनेशनल पार्टनरशिप फॉर एनर्जी एफीशियेंसी को-ऑपरेशन नाम की एक इकाई बनाने की भी योजना है।
चीन ने पहले ही ऊर्जा संरक्षण के लिए अपने लक्ष्य निर्धारित कर दिए हैं और इस वजह से वह किसी नए लक्ष्य के निर्धारण में रुचि नहीं दिखा रहा। जबकि, भारत को लगता है कि ऐसे समय में जब विकास की गाड़ी को पूरी रफ्तार के साथ दौड़ाने की जरूरत है, ऐसे में संरक्षण के लिए लक्ष्य तय करना बहुत मुश्किल है।
भारत का पक्ष
भारत ऊर्जा संरक्षण के लिए लक्ष्य तैयार किए जाने के पक्ष में नहीं
आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना है पहली जरूरत
जापान में 11 देशों के अधिकारियों की बैठक में होगी चर्चा