रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने आज कहा है कि मजबूत आर्थिक वृद्धि और मजबूत बाहरी बैलेंस शीट से भारत को ‘अनिश्चित वैश्विक वातावरण’ के झटकों से सुरक्षा मिल सकती है। बहरहाल ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर कुछ ऐसी वजहे हैं, जिनके कारण भारत के सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग (बीबीबी-/स्थिर/ए-3 पर विपरीत दबाव पड़ सकता है।
क्रेडिट रेटिंग पर असर डालने की वजहों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल के जवाब में एसऐंडपी ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि इन मजबूतियों से जोखिम को बेअसर करने में मदद मिलेगी, जो वैश्विक वातावरण में उतार-चढ़ाव से पैदा हो रहा है।
कई वजहें हैं, जिनको लेकर भारत के सॉवरिन क्रेडिट आंकड़ों को जोखिम है। बाहरी हलचलों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है और चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है। इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था तेजी से महंगाई के दुष्चक्र में फंस रही है औऱ घरेलू व वैश्विक दोनों मोर्चों पर वित्तीय सख्ती की स्थिति है।
भारत इस समय मामूली शुद्ध लेनदार है। लेकिन यह मामूली शुद्ध विदेशी ऋण की स्थिति में वापस आ सकता है। बहरहाल सिर्फ इस वजह से भारत की सॉवरिन रेटिंग नीचे जाने की संभावना नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में भारत अपनी मुद्रा के सक्रिय इस्तेमाल से लाभ लेना जारी रख सकता है और सरकार स्थानीय मुद्रा ऋण बाजार के माध्यम से खुद इसका वित्तपोषण कर सकती है। एसऐंडपी ने कहा है कि भारत की मजबूत बैलेंस शीट के बावजूद 2022 में शेष उभरते बाजारों के कठिन दौर से बचने में सक्षम नहीं होगा।