राज्यों के वित्त पर भारतीय रिजर्व बैैंक की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों पर बॉन्ड भुनाने के बढ़ते दबाव के बीच बाजार से ज्यादा उधारी लेने को बाध्य होना पड़ रहा है, जो 2026 तक बढ़कर दोगुना हो जाएगा। इसने राज्यों के घाटे के वित्तपोषण के तरीके बदल दिया है और उनकी उधारी की लागत बढ़ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सकल और शुद्ध उधारी केंद्र में आ रहा है और वित्तपोषण के अन्य सभी तरीके खत्म हो रहे हैं। सामान्य सरकारी उधारी में राज्यों की बाजार उधारी पिछले 5 साल में दोगुने से ज्यादा हो गई है। इससे भुनाने के मामले आवश्यक रूप से बढ़ रहे हैं।’ नए बॉन्ड पेपर जारी करने के बजाय राज्य नकदी की स्थिति सुधारने के लिए अपने बॉन्ड को फिर जारी करना बढ़ा रहे हैं। 2019-20 में फिर से जारी करने की गतिविधि बढ़ी है, जिनकी कुल इस्यू में हिस्सेदारी 2017-18 से बढ़कर 2019-20 में करीब 20 प्रतिशत पहुंच गई है।
2019-20 में राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की शुद्ध उधारी में करीब 40 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि सकल बाजार उधारी 32.7 प्रतिशत बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो बीते कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा है।
