देश का औद्योगिक उत्पादन मई में खासा बढ़ा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) मई में 19.6 फीसदी बढ़कर 12 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो अप्रैल में 6.7 फीसदी
(संशोधित) बढ़ा था। इस बीच उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में मामूली घटकर 7.01 फीसदी रही। यह लगातार छठा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति समिति के मध्य अवधि के लक्ष्य 4 फीसदी (2 फीसदी घट-बढ़ के साथ) से ऊपर बनी हुई है। इससे संकेत मिलता है भारतीय रिजर्व बैंक दरों में आगे और वृद्धि कर सकता है।
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘साल के बाकी बचे महीनों में भी मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है। हालांकि वैश्विक जिंसों की कीमतों में कमी से थाड़ी राहत मिलगी लेकिन रुपये में नरमी से इसका लाभ सीमित होगा।’ इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘अगली दो बैठकों में रीपो में 60 आधार अंक का इजाफा होने के अपने अनुमान पर हम कायम हैं क्योंकि मौद्रिक नीति समिति वृद्धि को प्रभावित किए बगैर मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने पर ध्यान देगी।’
औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो बिजली क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार से आईआईपी में तेजी आई है। जून में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 23.5 फीसदी बढ़ा है। इसी तरह विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 10.6 फीसदी और खनन क्षेत्र के उत्पादन में 1.9 फीसदी का इजाफा हुआ है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सभी क्षेत्रों में उच्च वृद्धि के कारण आईआईपी में तेजी आई है। विनिर्माण में फार्मा को छोड़कर सभी का उत्पादन बढ़ा है। हालांकि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि को सतर्कता के साथ देखा जाना चाहिए क्योंकि आगे यह इस पर निर्भर करेगा कि मुद्रास्फीति का खपत के रूझान पर कितना असर पड़ता है।