भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का विदेशी मुद्रा भंडार 10 फरवरी को समाप्त हफ्ते में 8.3 अरब डॉलर घटकर 566.95 अरब डॉलर रह गया, जो 1 अप्रैल, 2022 के बाद की सबसे तेज साप्ताहिक गिरावट है।
मुद्रा भंडार अभी 6 जनवरी 2023 के बाद के निचले स्तर पर है। पिछले हफ्ते आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट मुख्य रूप से केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में नरमी के कारण हुई, जो 7.1 अरब डॉलर घटकर 500.59 अरब डॉलर रह गई।
10 फरवरी को समाप्त हफ्ते में डॉलर के मुकाबले रुपया 0.8 फीसदी टूटकर 82.51 पर टिका क्योंकि अमेरिका में नौकरी के अप्रत्याशित तौर पर मजबूत आंकड़े ने चिंता पैदा कर दी कि फेडरल रिजर्व पहले के अनुमान से ज्यादा लंबी अवधि के लिए ब्याज दरों में इजाफा करेगा।
उच्च अमेरिकी ब्याज दर से डॉलर में मजबूती आएगी और इसका असर उभरते बाजारों जैसे भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ेगा।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, आरबीआई रुपये को 83.00 से आगे गिरने से रोकने की कोशिश कर रहा है और 82.70 के स्तर से ही डॉलर की बिकवाली कर रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है। यूरो/जीबीपी/जापानी येन के अलावा सोने की कीमत घटी है, जिसका असर मुद्रा भंडार में आई गिरावट पर पड़ा हो सकता है।
अमेरिका के ताजा आंकड़ों ने इस डर को मजबूत किया है कि फेडरल रिजर्व लंबे समय तक मौद्रिक नीति में सख्ती जारी रख सकता है। फेड ने मार्च 2022 के बाद से अब तक ब्याज दरों में कुल 450 आधार अंकों का इजाफा किया है, जिससे अमेरिकी डॉलर में तीव्र बढ़त दर्ज हुई है।
डीलरों ने कहा कि आरबीआई ने शायद पिछले हफ्तों में डॉलर की बिक्री के जरिए हस्तक्षेप किया है ताकि विनिमय दर में अत्यधिक उतारचढ़ाव पर लगाम कसा जा सके।