अनौपचारिक क्षेत्र का हिस्सा घटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:52 PM IST

भारतीय अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2020-21 में घटकर 15 से 20 फीसदी रह गई है, जो 2017-18 में 52.4 फीसदी थी। एसबीआई रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक डिजिटलीकरण और गिग अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार होने से अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी घटी है।
भारतीय स्टेट बैंक में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘वर्तमान में सकल मूल्यवद्र्घन में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का योगदान अधिकतम 15 से 20 फीसदी होने की संभावना है।’ 2011-12 में यह 53.9 फीसदी पर था।
2011-12 से 2017-18 के दौरान अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने की कवायद शुरू की गई थी लेकिन इस कवायद ने 2017-18 से 2020-21 में जोर पकड़ा। अध्ययन से पता चला है कि 2016 से डिजिटलीकरण में तेजी और गिग अर्थव्यवस्था के उभार ने औपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी को तेजी से बढ़ाया है।
अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उस बयान का संदर्भ लिया है जिसमें कहा गया है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अपनाने, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में तेजी आई है। इसमें सरकार को सलाह दी गई है कि अर्थव्यवस्था के औपचारिक होने के बावजूद, ईंधन पर प्रत्यक्ष कर और ईमानदार करदाताओं की मदद के लिए बेहतर कर ढांचा तैयार करना महत्वपूर्ण है। कुछ अपवादों के साथ अध्ययन के अनुमान के अनुसार 11.4 करोड़ करदाता परिवार या कुल आबादी के 8.5 फीसदी हिस्से ने निजी अंतिम खपत व्यय में 75 लाख करोड़ रुपये या 65 फीसदी का योगदान दिया है और वित्त वर्ष 2021 के दौरान 91.5 फीसदी आबादी की सब्सिडी की भरपाई की है।
घोष ने कहा, ‘इसे देखते हुए मौजूदा कर ढांचे, खास तौर पर ईंधन पर प्रत्यक्ष कर को खपत पर नकारात्मक असर डालने वाला नहीं होना चाहिए।’
अनौपचारिक क्षेत्र में ऐसे उद्यम शामिल होते हैं, जिनका अपना उद्यम होता है और उसका संचालन श्रमिकों द्वारा किया जाता है या असंगठित क्षेत्र के उद्यम होते हैं, जिसमें श्रमिकों को नियुक्त किया जाता है। ये व्यक्तिगत या साझेदारी वाले उद्यम होते हैं।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार असंगठित क्षेत्र की सबसे बड़ी हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र में है। वित्त वर्ष 2018 से किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाकर कृषि को करीब 22 से 27 फीसदी औपचारिक बनाया गया है। कृषि में अभी भी अनौपचारिक हिस्सेदारी 70 से 75 फीसदी है जो वित्त वर्ष 2018 में 97.1 फीसदी और वित्त वर्ष 2012 में 96.8 फीसदी थी। अध्ययन के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड ने 4.6 लाख करोड़ रुपये के औपचारिक क्षेत्र में आने का अनुमान लगाया गया है। अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी घटी है।

First Published : October 31, 2021 | 10:52 PM IST