देश के प्राइवेट सेक्टर की अर्थव्यवस्था ने दिसंबर 2005 में सर्वेक्षण डेटा की शुरुआत के बाद से सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। HSBC Flash India Composite PMI आउटपुट इंडेक्स जुलाई में 61.1 से चार अंक बढ़कर 65.2 हो गया है।
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, “सर्विस सेक्टर क्षेत्र का फ्लैश पीएमआई 65.6 के ऑल टाइम हाई छू गया। इसकी वजह निर्यात और घरेलू दोनों तरह के नए व्यावसायिक ऑर्डरों में तेज़ वृद्धि रही। नए घरेलू ऑर्डरों में अच्छी वृद्धि के कारण विनिर्माण क्षेत्र का फ्लैश पीएमआई और बढ़कर 60 के स्तर के करीब पहुंच गया। हालांकि, नए निर्यात ऑर्डरों की वृद्धि जुलाई के स्तर पर स्थिर रही। उत्पादन की कीमतों में वृद्धि इनपुट लागत की तुलना में कहीं अधिक तेज होने के कारण मार्जिन में सुधार हुआ।”
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अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी देखी गई। दोनों क्षेत्रों में ग्रोथ तेज़ हुई। लेकिन सर्विस सेक्टर ने ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। HSBC फ्लैश इंडिया सर्विसेज PMI बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स बढ़कर 65.6 पहुंच गया, जो एक नया सर्वे रिकॉर्ड है। पिछले महीने यह 60.5 था।
वहीं, HSBC फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI अगस्त में बढ़कर 59.8 हो गया, जो जुलाई में 59.1 था। यह जनवरी 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे संकेत मिलता है कि फैक्ट्री ऑपरेशन की स्थिति में सुधार तेज़ हो रहा है।
मांग और निर्यात दोनों में मज़बूती आई। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों क्षेत्रों में नए ऑर्डर तेज़ी से बढ़े। निर्यात ऑर्डर में 2014 के बाद से सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज हुई। इसका कारण एशिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप और अमेरिका से बढ़ती मांग है।
रोज़गार के मोर्चे पर भी अच्छी खबर रही। अगस्त में लगातार 27वें महीने हायरिंग जारी रही। कुल मिलाकर, नौकरियों की रफ्तार बढ़ी। सर्विस सेक्टर में तेज़ भर्ती हुई, जिससे मैन्युफैक्चरिंग में हल्की गिरावट का असर कम हुआ। काम का बैकलॉग थोड़ा ही बढ़ा, और यह मई के बाद सबसे धीमा इज़ाफा रहा। इसकी वजह यह है कि कंपनियों ने अपनी वर्कफोर्स कैपेसिटी बढ़ा दी है।