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पावर सेक्टर को अगले 5 वर्षों में ₹3 लाख करोड़ की फंडिंग की जरूरत-Tata Power CEO ने BS Infra Summit में कहा

BS Infra Summit में सिन्हा ने कहा, ''पावर सेक्टर को अगले पांच सालों में ₹3 लाख करोड़ की जरूरत है। इसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन और 5 लाख किमी की ट्रांसमिशन लाइनें शामिल हैं।'

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 21, 2025 | 1:52 PM IST

BS Infra Summit 2025: टाटा पावर के सीईओ और एमडी प्रवीर सिन्हा ने बुधवार को कहा कि भारत के पावर सेक्टर को आने वाले पांच वर्षों में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निवेश जरूरत होगी। यह निवेश बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण सभी क्षेत्रों में चाहिए। उन्होंने देश की ग्रोथ महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लॉन्ग टर्म फंडिंग चैनल खोलने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

बिजनेस स्टैंडर्ड इंफ्रास्ट्रक्चर समिट में सिन्हा ने कहा, “पावर सेक्टर को अगले पांच सालों में 3 लाख करोड़ से ज्यादा की जरूरत है। इसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन और 5 लाख किलोमीटर की ट्रांसमिशन लाइनें शामिल हैं। यह पूंजी कई स्रोतों से आनी चाहिए। बैंक तरल हैं और प्रोजेक्ट्स को फंड कर सकते हैं। लेकिन हमें बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय लॉन्ग टर्म फंडिंग की भी जरूरत है।”

जब उनसे उद्योग में विकास में बाधा बनने वाले कारणों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने फाइनेंसिंग को एक स्ट्रक्चरल बाधा बताया। उन्होंने कहा, ”अधिकतर प्रोजेक्ट्स की उम्र 30-35 साल होती है। हाल ही में मैं एक हाइड्रो प्रोजेक्ट कर रहा था जिसकी उम्र 35 साल थी, लेकिन भारत में कर्ज़ की अधिकतम अवधि 20 साल है। तो क्यों न हमें 30-35 साल की फंडिंग मिले? पूंजी और फंडिंग की लागत बड़ी चुनौती बन रही है, खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए। हमें उनके लिए फाइनेंसिंग को सरल और प्रतिस्पर्धी बनाना होगा।”

फाइनेंसिंग चुनौतियों के बावजू सिन्हा ने पावर सेक्टर की बढ़ती प्रगति की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, “2015 में हमारे पास 5 गीगावाट सोलर क्षमता थी, आज हम 115 गीगावाट तक पहुंच चुके हैं। 2030 तक इसे 290 गीगावाट तक बढ़ाने की योजना है। पिछले साल हमने 30 गीगावाट की रिन्यूएबल कैपेसिटी जोड़ी। लेकिन चीन ने एक साल में 400 गीगावाट जोड़ा। इसमें से 280 गीगावाट केवल सोलर था। इस साल के पहले छह महीनों में उन्होंने 212 गीगावाट जोड़ा। यह वह बदलाव है जिसकी हमें आवश्यकता है।”

भारत में प्रति व्यक्ति बिजली खपत केवल 1,400 यूनिट प्रति वर्ष है। जबकि ग्रामीण परिवारों की खपत मात्र आठ से नौ यूनिट प्रति माह है। सिन्हा ने कहा, ‘यह दो बल्ब, एक पंखा और एक मोबाइल चार्जर चलाने के लिए पर्याप्त है। लगभग 40 प्रतिशत आबादी अभी भी बहुत कम खपत पर है। यह देश के लिए सुनहरा समय है। अगले 10-20 सालों में जो भी करें, वह अभी भी कम होगा। हमें गति और फुर्ती लानी होगी।”

जब भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़ी कमियों के बारे में पूछा गया, तो सिन्हा ने कहा कि भारत ने सड़कों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों में अच्छा काम किया है। लेकिन अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ”हमने अच्छी सड़कों और हवाई अड्डे बनाए हैं। बंदरगाह भी जोड़े गए हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। हर जगह जाम और भीड़ होती जा रही है। चाहे सड़क हो, रेल हो या शिपिंग। हमें और भी हवाई अड्डों की जरूरत है। नोएडा एयरपोर्ट शानदार है और अगले दो महीनों में शुरू होगा। लेकिन हमें सिर्फ एक पर नहीं रुकना चाहिए।”

सिन्हा ने कहा कि भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रगति की है, लेकिन हमें और अधिक करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, ”मैं नहीं सोचता कि हमें अपने काम पर संतोष करना चाहिए और कहना चाहिए कि हमने काफी कर लिया है। वास्तविक जरूरत अभी भी बनी हुई है।”

First Published : August 21, 2025 | 1:25 PM IST