अर्थव्यवस्था

RBI अब क्यों नहीं गिरने से बचा रहा रुपया? वजह सामने आई

डॉलर के मुकाबले जून 2027 तक रुपया 92 तक कमजोर हो सकता है, ब्याज दर में और कटौती की संभावना नहीं

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- December 17, 2025 | 8:42 AM IST

ऐक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और ऐक्सिस कैपिटल में ग्लोबल रिसर्च के प्रमुख नीलकंठ मिश्र ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट कोई बुनियादी चिंता का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए तभी हस्तक्षेप करेगा, जब गिरावट सहनीय स्तर से आगे बढ़ जाएगी। मिश्र प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य भी हैं।

मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 91 के स्तर को पार कर गया और लगातार 4 सत्रों में रुपये ने नए निचले स्तर को छुआ है। मिश्र ने कहा कि जून 2026 तक डॉलर के मुकाबले रुपया औसतन 90 के आसपास रहने की उम्मीद है और जून 2027 तक यह और कमजोर होकर 92 प्रति डॉलर तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि गिरावट की गति पूंजी प्रवाह और वैश्विक जोखिम लेने की क्षमता की दिशा पर निर्भर करेगी।

मिश्र द्वारा लिखित ऐक्सिस बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार बनाने के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवक को अवशोषित कर सकता है, जबकि अधिक स्वतंत्र रूप से अस्थायी विनिमय दर व्यवस्था की ओर कोई भी बदलाव धीरे-धीरे होने की संभावना है।

आगे उन्होंने कहा कि 2022 में भारी गिरावट के बाद रुपये में चरणबद्ध तरीके से मजबूती आई, जब अमेरिका द्वारा आक्रामक तरीके से दरों में वृद्धि और वैश्विक जोखिम के कारण रुपया 11.4 प्रतिशत गिर गया था। इस अवधि के दौरान रिजर्व बैंक ने लचीली विनिमय दर की व्यवस्था से ज्यादा स्थिर, धीमी रफ्तार से हस्तक्षेप कर उतार चढ़ाव रोकने की नीति अपनाई और रुपये को एक सीमित उतार चढ़ाव की सीमा में बनाए रखा।

उन्होंने कहा कि समय बीतने के साथ यह रणनीति अस्थायी साबित हुई। ज्यादा हस्तक्षेप के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय कमी आई, खासकर 2024 के आखिर में ऐसा हुआ, जब महज 3 महीने में 88 अरब डॉलर से अधिक इसमें खर्च हो गए। उसके बाद रिजर्व बैंक को रुपये को कारोबार की सीमा लांघने को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और इसकी वजह से रुपया 90 के पार चला गया।

तमाम वैश्विक उतार चढ़ाव के बावजूद रुपये को 83 से 84 प्रति डॉलर पहुंचने में 474 दिन लगे। वहीं 84 से 90 रुपये प्रति डॉलर पहुंचने में कुल 277 कारोबारी दिवस लगे। इसके अलावा मिश्र ने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से अब मौजूदा चक्र में ब्याज दर में और कमी किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि समग्र महंगाई दर अतिरिक्त मौद्रिक कदम की राह में व्यवधान रहेगी।

नीतिगत दर में बदलाव न करते हुए लंबे समय तक ब्याज दरें कम बनाए रखने का वातावरण एक तार्किक अवधारणा होगी। समग्र महंगाई दर अब अधिक रहने की संभावना है, जिससे आगे नीतिगत दर में और कटौती की संभावना कम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि समग्र महंगाई दर वित्त वर्ष 2026-27 में करीब 4 प्रतिशत रहने की संभावना है।

इसके अलावा नकदी की स्थिति बेहतर होने, मौद्रिक नीति के बेहतर असर और आपूर्ति की दिशा में उठे कदम से ऋण वृद्धि को समर्थन मिल सकता है और इससे यील्ड कर्व में स्थिरता रह सकती है और 10 साल के सरकारी बॉन्ड का यील्ड वित्त वर्ष 2027 में 6 प्रतिशत की ओर आने की संभावना है।

वृद्धि दर को लेकर उन्होंने कहा कि राजकोषीय समेकन और अनचाही मौद्रिक सख्ती से वित्त वर्ष 2025 के दौरान जो रुकावटें अर्थव्यवस्था पर असर डाल रही थीं, वे काफी हद तक खत्म हो गई हैं, जिससे वित्त वर्ष 2026 में रिकवरी हो रही है। वित्त वर्ष 2027 में मौद्रिक नीति में ढील से वृद्धि की रफ्तार बढ़कर 7.5 प्रतिशत पहुंचने की संभावना है।

First Published : December 17, 2025 | 8:24 AM IST