केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोलियम पदार्थों पर लगने वाले उत्पाद और सीमा शुल्क में कटौती से राज्यों को वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने का अनुमान है।
इस आंकड़े में विभिन्न राज्यों द्वारा बिक्री कर में कटौती को शामिल नहीं किया गया है। जिन राज्यों ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बिक्री पर बिक्री कर को कम किया है उनके नुकसान का ग्राफ और अधिक होने की उम्मीद है।
हालांकि, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से कुछ हद तक इस नुकसान को कम किया जा सकेगा। केंद्र सरकार का अनुमान है कि कच्चे तेल पर सीमा शुल्क को समाप्त करने और पेट्रोलियम पदार्थों पर से सीमा शुल्क को कम करने से 2008-09 में 22,660 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।
केंद्रीय करों में 30.5 फीसदी हिस्सेदारी राज्यों की होती है, ऐसे में राज्यों को कुल 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है। गौरतलब है कि राज्य सरकारें पेट्रोल पर 20 से 32 फीसदी और डीजल पर 9 से 26 फीसदी कर लगाती है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘राज्य सरकारें बिक्री कर को घटा सकती हैं क्योंकि, रिटेल कीमतों में बढ़ोतरी से उसकी भरपाई हो सकेगी। खासतौर पर कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उनके लिए यह सफल कदम हो सकता है।’