वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को वृद्धि के बजाय महंगाई को प्राथमिकता देने की जरूरत है, जिससे कीमत में बढ़ोतरी अनिवार्य लक्ष्यों के भीतर बनी रहे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘जब तक महंगाई दर 6 प्रतिशत की लक्ष्यित सीमा के भीतर नहीं आ जाती, केंद्रीय बैंक को महंगाई पर काबू पाने पर ध्यान देने की जरूरत है, भले ही वृद्धि पर इसका असर पड़े।’ उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी बढ़े स्तर पर बनी हुई है, जो कम आय वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकती है।
रिजर्व बैंक ने महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय बैंक के महंगाई दर का लक्ष्य 4 प्रतिशत है, जिसमें 2 प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है।
अधिकारी ने आगे कहा कि हमारा टिकाऊ वृहद आर्थिक स्थिरता और वृद्धि का आधार है, इसलिए कोई ऐसी चिंता नहीं है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दोनों मोर्चों पर राजस्व संग्रह में मजबूत वृद्धि हो रही है। यहां तक कि बैंकों की बैलेंस शीट बेहतर है।
भारतीय रिजर्व बैंक गुरुवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि रिजर्व बैक की मौद्रिक नीति समिति स्थिर रुख अपनाने के पहले इस बार भी दरों में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी करेगी।
बहरहाल अधिकारियों का विचार है रुख में बदलाव से पहले केंद्रीय बैंक को महंगाई की चाल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 6.44 प्रतिशत बढ़ी है और रिजर्व बैंक की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा लगातार दूसरे महीने टूटी है। खासकर खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है, जिसकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बॉस्केट में हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है।
हालांकि मांस, मछली, अंडों, दलहन के साथ ईंधन और बिजली की कीमत में कमी के कारण क्रमिक आधार पर महंगाई 0.17 प्रतिशत घटी है। वहीं मोटे अनाज (16.73 प्रतिशत), दूध (9.65 प्रतिशत), फल (6.38 प्रतिशत) और हाउसिंग (4.88 प्रतिशत) की महंगाई में वृद्धि जारी रही है।
महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक उधारी दर बढ़ा रहा है। पिछले साल मई से अब तक रिजर्व बैंक ने कम अवधि की उधारी दर में 225 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। इसके पहले फरवरी में रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो रेट में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी की थी।
अगले वित्त वर्ष में महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जिसमें वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.7 प्रतिशत रह सकती है।
बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई की चिंता अभी कम नहीं हुई है और चौथी तिमाही में औसत महंगाई दर 6.3 प्रतिशत रह सकती है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है, ‘हमारा अनुमान है कि कम बहुमत से एमपीसी अप्रैल की पॉलिसी में एक बार फिर नीतिगत दर में बढ़ोतरी का विकल्प चुन सकती है। इसकी वजह से रीपो रेट 6.75 प्रतिशत हो जाएगा, जो एमपीसी के सीपीआई महंगाई दर के वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही के अनुमान की तुलना में 100 आधार अंक ज्यादा है।’
उन्होंने कहा कि एमपीसी वित्त वर्ष 24 के शेष महीनों के लिए नीतिगत दर स्थिर कर सकती है और नीतिगत सख्ती के असर का आकलन कर सकती है।
बढ़ी महंगाई दर पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंकों के लिए चिंता का विषय रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति संबंधी व्यवधान आया और कोविड के बाद अभी भी विश्व के तमाम देश आर्थिक झटकों से उबरने की कवायद में लगे हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बैंकिंग सेक्टर की चल रही चिंताओं के बीच हाल में दरों में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी की थी, जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सके।