लाल सागर से होकर गुजरने वाले व्यापारिक मार्ग पर हो रहे हूती हमलों का दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ने की आशंका है। फिच समूह ने रिपोर्ट में कहा कि यह मार्ग दक्षिण एशिया के लिए अहम है और हमलों के कारण के मार्ग बदलने से कारोबार की दूरी, ढुलाई की अवधि और लागत में बढ़ोतरी होगी। इसमें कहा गया है कि इस व्यवधान के लंबा खिंचने की स्थिति में भारत के आर्थिक अनुमान पर असर पड़ सकता है।
फिच समूह की एक इकाई बीएमआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘अगर लाल सागर में व्यवधान बना रहता है तो इससे भारत और बांग्लादेश की वृद्धि के अनुमान में संशोधन करना पड़ सकता है। इससे 2024 में हमारे एशिया के 4 प्रतिशत वृद्धि के पहले के अनुमान पर असर पड़ेगा।’
रिपोर्ट के मुताबिक भारत और बांग्लादेश दो प्रमुख देश हैं, जो लाल सागर के व्यवधानों से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इस साल जीडीपी वृद्धि में इन देशों के अहम योगदान का अनुमान लगाया गया है।
लाल सागर प्रमुख समुद्री यातायात का मार्ग है, जो सीधे स्वेज नहर से जुड़ा है। इस मार्ग से यूरोप और एशिया के बीच दूरी में उल्लेखनीय कमी आती है और इस मार्ग से कुल वैश्विक कारोबार का 12 प्रतिशत कारोबार होता है। इस संकट के कारण कंटेनरों की आवाजाही और समुद्र से माल ढुलाई का बाजार प्रभावित हो रहा है और इससे पूरी दुनिया में महंगाई दर बढ़ने का खतरा है।
पिछले सप्ताह भारत के वाणिज्य विभाग ने कहा था कि हूती विद्रोहियों के हमले के कारण माल ढुलाई, बीमा का प्रीमियम और ढुलाई का वक्त बढ़ा है। इसके कारण आयातित वस्तुएं महंगी पड़ रही हैं।
वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले वित्तीय सेवा विभाग ने कहा है कि व्यापार में उतार चढ़ाव को देखते हुए निर्यातकों को आसानी से ऋण मुहैया कराया जाना चाहिए। ड्रेवरी वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स के मुताबिक संकट शुरू होने के बाद समुद्र मार्ग से ढुलाई की दर तीन गुना बढ़ी है। 18 जनवरी को 40 फुट के कंटेनर का किराया 3,777 डॉलर हो गया है। पिछले सप्ताह दर में 23 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
चीन और अमेरिका के बीच माल ढुलाई की दर एक सप्ताह में 35 प्रतिशत बढ़ी है, जितनी अन्य समुद्री मार्गों पर हुई है।
फिच ने कहा, ‘2021 में 6 दिन के ब्लॉकेज और छह दिवसीय युद्ध और योम किप्पुर युद्ध के कारण 1967 से 1975 तक स्वेज नहर बंद रहने से नहर के रास्ते से शिपिंग प्रभावित हुआ था। इससे पता चलता है कि नहर और लाल सागर के रास्ते कारोबार वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर डालता है। उदाहरण के लिए रुकावट के कारण 6 दिनों में से प्रत्येक दिन अनुमानित रूप से 9 अरब डॉलर का व्यापार रुका था।’