कई महीनों के निराशाजनक दौर के बाद आखिरकार उम्मीद नजर आ रही है। देश की कुछ दिग्गज कंपनियोंके प्रमुखों का कहना है कि उन्हें अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे हैं और लगता है कि धीरे-धीरे कारोबारी गतिविधियों में तेजी आने से यह सुधार और स्पष्ट होगा। उनका भरोसा इस बात से भी बढ़ा है कि देश में अनलॉक के पांचवें चरण के तहत कारोबार पूरी तरह से खुल जाएगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा पिछले हफ्ते किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि विभिन्न कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही तक 50 प्रतिशत से अधिक क्षमता का इस्तेमाल कर लिया जाएगा जिसमें कारोबार और उपभोक्ताओं की धारणा का भी असर होगा। एफएमसीजी से लेकर वाहनों के कलपुर्जे, सीमेंट और स्टील क्षेत्र में सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) में तेजी के संकेत दिख रहे हैं हालांकि उद्योग के कुछ दिग्गजों ने आगाह किया है कि यह छिपी हुई मांग का नतीजा है।
बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक (एमडी) राजीव बजाज लॉकडाउन और कारोबार पर इसके असर के मुखर आलोचक रहे हैं। उनका कहना है, ‘मौजूदा खुदरा बिक्री पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले कम रही है। यह छिपी हुई मांग के धीमी गति से बढऩे का संकेत है। असली मांग का सवाल कहां हैं?’ वह कहते हैं, ‘मैं अब भी काफी उत्सुकता से पहले प्रोत्साहन पैकेज का इंतजार कर रहा हूं। पिछले तीन महीनों के अनलॉक के दौरान भी हमें रातोरात नीतिगत बदलावों से जूझना पड़ा जिनमें एमईआईएस (भारत से मर्केंडाइज निर्यात की योजना) को पिछली तारीख से हटाने और चीन से आयात पर प्रतिबंध लगाने जैसे अदूरदर्शी कदम शामिल हैं।’ मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव भी इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा तेजी छिपी हुई मांग का ही परिणाम है। वह कहते हैं, ‘हम दिसंबर तक कोई समस्या नहीं देख रहे हैं और मांग बनी रहेगी। लेकिन इस स्तर पर हम दिसंबर से आगे का पूर्वानुमान लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते हैं क्योंकि कोविड-19 के कारण अब भी बहुत अनिश्चितता है।’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि यह महंगाई का प्रबंधन करने के बजाय वृद्धि को प्राथमिकता दे रहा है और अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सकारात्मक रूप से तेजी दिखेगी। लॉकडाउन की सख्ती के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अप्रैल-जून की अवधि में 23.9 फीसदी की कमी आई। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि सितंबर तिमाही में जीडीपी 9.8 प्रतिशत की दर से घटेगी और तीसरी तिमाही में इसमें और कम गिरावट (5.6) प्रतिशत देखने को मिलेगी। मैरिको के अध्यक्ष हर्ष मारिवाला को भरोसा है कि अगर आर्थिक गतिविधि में सुधार जारी रहता है तब मांग बनी रहेगी। वह कहते हैं, ‘एफएमसीजी में अब छिपी हुई मांग नहीं है और चीजें अब फिर से सामान्य हो रही हैं। जीडीपी में कमी भी अब घट रही है। आर्थिक गतिविधि में सुधार से खरीदने की क्षमता में भी सुधार होगा।’
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और सीईओ टी वी नरेंद्र भी इस उम्मीद को लेकर थोड़ा सतर्क रहने की बात कहते हैं। वह कहते हैं, ‘आर्थिक सुधार टिकाऊ है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मांग अपने आप ही बरकरार रह सकती है। इसको बढ़ाने के लिए कुछ वक्त की जरूरत होगी। मैं आगे योजनाबद्ध बुनियादी ढांचे से जुड़े खर्चों पर जोर दूंगा ताकि जमीन पर काम हो और अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में मदद मिले।’ रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक स्टील क्षेत्र में सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे थे क्योंकि आवाजाही से जुड़े प्रतिबंधों में ढील दे दी गई है और घरेलू मांग में भी धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एडलवाइस के विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादातर क्षेत्रों में सितंबर महीने में सीमेंट कंपनियों ने मांग में सुधार देखा है। सीमेंट निर्माताओं के संगठन के अध्यक्ष और डालमिया सीमेंट के एमडी और सीईओ महेंद्र सिंघी कहते हैं, ‘शहरी क्षेत्रों में रियल एस्टेट परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है और ग्रामीण बाजार में भी मजबूती है। मांग वास्तविक ही दिखती है क्योंकि लोग सावधानी बरतते हुए काम करना सीख रहे हैं। कारोबार धीरे-धीरे बढ़ेगा।’
अशोक लीलैंड के एमडी और सीईओ विपिन सोंढी कहते हैं, ‘सुधार के संकेत न केवल वाहन के क्षेत्र में हैं बल्कि दूसरे उद्योगों में भी दिख रहे हैं। हम यह उम्मीद करते हैं कि दूसरी तिमाही से हर महीने और हर तिमाही पहले की अवधि से बेहतर ही होगी। मध्यम स्तर के वाणिज्यिक वाहनों और हल्के वाणिज्यिक वाहनों के क्षेत्र में भी सुधार दिख रहा है। ये निर्माण क्षेत्र में भी सुधार का संकेत देते हैं। त्योहारी मौसम के दौरान वाणिज्यिक वाहनों की मांग में वृद्धि की उम्मीद है।’ ङ्क्षसघी सहमत हैं कि पहले त्योहारी सीजन के दौरान जो अनिश्चितता थी वह कम हो गई है। वह कहते हैं, ‘उपभोक्ताओं का व्यवहार अब सामान्य हो रहा है।’
(विवेट पिंटो, शैली सेठ मोहिले, अदिति दिवेकर (मुंबई), ईशिता आयान दत्त (कोलकाता) और टी ई नरसिम्हन (चेन्नई) से)