प्रतीकात्मक तस्वीर
रोजमर्रा के सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों की मात्रा पर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर से दिसंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) के दौरान दबाव देखने को मिल सकता है। मगर तिमाही के दौरान कीमतों में वृद्धि से राजस्व बढ़ने में मदद भी मिल सकती है। शहरी मांग में लगातार कमी से उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के चालू वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही का प्रदर्शन भी प्रभावित होने के आसार हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारी जांच से पता चला है कि एफएमसीजी के मांग के माहौल पर कई कारणों से कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला है।’ ब्रोकरेज ने बताया कि वृहद परिदृश्य कमजोर बना हुआ है और कुछ कंपनियों ने प्रणाली की स्थिति बेहतर करने के लिए अपनी इन्वेंट्री में सुधार किया है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अपने नोट में कहा है, ‘रिलायंस जैसी बड़ी कारोबारी कंपनी भी अपनी इन्वेंट्री कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण उपाय कर रही है, जिससे एफएमसीजी कंपनियों से उठाव भी कम हो गया है।’ कृषि वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का भी असर दिसंबर में समाप्त तिमाही पर पड़ सकता है, जिससे पैक्ड सामान बनाने वाली कंपनियों की सकल मार्जिन प्रभावित होगा।
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग ने अपने नोट में कहा है, ‘कृषि जिंसों (स्किम्ड दूध पाउडर और चीनी को छोड़कर) के अधिकतर वस्तुओं में महंगाई बढ़ी है और गेहूं की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले 15 फीसदी और जौ की कीमतों में 11 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। कॉफी और सूखे नारियल तक में तेज महंगाई दर्ज की गई। कॉफी की कीमतें जहां पिछले साल के मुकाबले 65 फीसदी तक बढ़ी हैं वहीं कोपरा की कीमत में भी 39 फीसदी की उछाल आई है।’
ब्रोकरेज ने कहा कि कंपनियों ने साबुन, चायपत्ती, कॉफी, खाद्य तेल आदि श्रेणियों में कीमतें बढ़ाकर इसका सहारा लिया है। ब्रोकरेज ने कहा कि कृषि वस्तुओं की अधिक कीमतों का असर नेस्ले, ब्रिटानिया, मैरिको और टाटा कंज्यूमर जैसी एफएमसीजी कंपनियों पर पड़ना चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि तिमाही के दौरान सर्दी देर से आने के कारण भी उन कंपनियों को नुकसान हो सकता है, जो सर्दी के मौसम के अनुरूप उत्पाद बनाती है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने तिमाही नतीजे पूर्व अपनी समीक्षा में कहा है कि क्षेत्र की सकल मार्जिन में सालाना आधार पर 160 आधार अंकों तक की गिरावट आने के आसार हैं। इसकी वजह निम्न उत्पाद मिश्रण (सर्दी देर से आने के कारण उच्च मार्जिन वाले व्यक्तिगत उत्पाद अथवा हेल्थ सप्लीमेंट्स रेंज की बिक्री पर असर पड़ा है) और गेहूं, खाद्य तेल, चाय पत्ती, कॉफी, सूखे नारियल, दूध, आदि जैसे कृषि जिंस श्रेणी में ज्यादा महंगाई बढ़ी है। मगर इसने उम्मीद जताई है कि होम एवं पर्सनल केयर कंपनियों का मार्जिन बेहतर रह सकता है क्योंकि कच्चे तेल से निकलने वाले अधिकतर उत्पादों की कीमतें नरम बनी रहेंगी और इसमें एक साल पहले के मुकाबले 10 फीसदी की कमी आई है।
मगर ग्रामीण मांग में लगातार सुधार से इस तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों को मदद मिलेगी। नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमें उम्मीद है कि ग्रामीण मांग में औसत से लंबे समय तक रहे मॉनसून (लंबी अवधि के औसत का 8 फीसदी ज्यादा) और मजबूत खरीफ फसल (पिछले साल के मुकाबले 6 फीसदी अधिक) के कारण सुधार जारी रहेगा, साथ ही समग्र उत्पादन हाल के वर्षों में सर्वाधिक में से एक होगा।’