अर्थव्यवस्था

चीन के निवेश को बढ़ावा देने पर पुनर्विचार नहीं: पीयूष गोयल

भारत चीन की आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत हो सकता है, या वहां से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दे सकता है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- July 31, 2024 | 7:33 AM IST

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत चीन से निवेश का समर्थन करने पर पुनर्विचार नहीं करेगा। Economic Survey 2024 के एक प्रस्ताव के मामले में उन्होंने यह स्पष्ट किया है। असल में, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा पेश की गई आर्थिक समीक्षा में पिछले सप्ताह कहा गया है कि तथाकथित चीन प्लस वन रणनीति से लाभ उठाने के लिए भारत के पास 2 विकल्प हैं। भारत चीन की आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत हो सकता है, या वहां से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दे सकता है।

गोयल ने दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘मुख्य आर्थिक सलाहकार की रिपोर्ट नए विचारों पर बात करती है और यह उनकी सोच है। यह सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है और सरकार देश में चीन के निवेश का समर्थन करने पर कोई पुनर्विचार नहीं कर रही है।’

सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन से निवेश ज्यादा नहीं रहा है, लेकिन चीन की वस्तुओं पर भारत की निर्भरता करीब 2 दशक से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही में चीन से एफडीआई की आवक 17 लाख डॉलर रही, जो कुल एफडीआई आवक का महज 0.01 फीसदी है। कुल मिलाकर जनवरी 2000 से मार्च 2024 के बीच चीन से एफडीआई की आवक करीब 25 लाख डॉलर रही है।

भारत ने 4 साल से ज्यादा समय पहले भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों मसलन चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यामार, भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले विदेशी निवेश के लिए पूर्व मंजूरी अनिवार्य कर दी थी, जिससे महामारी के बाद घरेलू फर्मों को अवसरवादी अधिग्रहण से बचाया जा सके।

कार्बन कर पर निकलेगा रास्ता

गोयल ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) ने सुझाव दिया है कि कार्बन सीमा कर के भुगतान के बजाय भारत अपना तंत्र विकसित कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘वे (ईयू) इस पर आगे बढ़ने के लिए बेहद उत्सुक हैं और उन्होंने यह पेशकश की है कि भारत ईयू को सीबीएएम कर का भुगतान करने के बजाय अपनी स्वयं की प्रणाली विकसित कर सकता है।

हम उनके सुझाव पर विचार करेंगे और भारतीय उद्योग तथा भारत के लोगों के लिए जो भी अच्छा होगा, उसे लेकर आएंगे।’ गोयल ने कहा कि मंत्रालय यूरोपीय संघ के सुझाव पर विचार करेगा और भारतीय उद्योग तथा लोगों के हित में फैसला लेगा। उन्होंने कहा कि भारत कर या कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) पर यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ बातचीत कर रहा है।

मंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि सीबीएएम से यूरोपीय संघ को ‘बहुत’ नुकसान होगा, क्योंकि बुनियादी ढांचा, जीवन-यापन की लागत, औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पाद महंगे हो जाएंगे। गोयल ने कहा, ‘सीबीएएम के बारे में मेरी राय यही है कि इससे यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था को भी और अधिक संकट का सामना करना पड़ेगा।’

First Published : July 31, 2024 | 7:12 AM IST