मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरनन (CEA V. Ananth Nageswaran) ने शुक्रवार को कहा कि अभी भी भारत मध्यम आय वाले देश भारत को लंबा रास्ता तय करने के लिए जमीनी हकीकत पर रहना है। हमारी आशावादिता अधूरी विजय का कारण नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCA) के 96वें सालाना सम्मेलन में कहा कि हमारी आकांक्षाएं व घोषणाएं उपलब्धियों से परे नहीं जानी चाहिएं।
नागेश्वरन ने जोर दिया कि पहले दशक की जबरदस्त वृद्धि और दूसरे दशक में बैलेंसशीट के दुरुस्त होने के दौरान मुश्किल आशावाद और अत्यधिक प्रसन्नता के बीच अंतर किए जाने की जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि यदि प्रतीक्षारत निजी क्षेत्र की पूंजी अधिक मात्रा में आती है तो कहीं तेजी गति से आगे बढ़ सकते हैं। इससे भारत की वृद्धि की गति तेज व त्वरित हो सकती है। उन्होंने अनिश्चितता का माहौल जैसा है, वैसा ही स्वीकार करने की जरूरत पर बल दिया है।
नागेश्वरन ने कहा कि कार्य में निजी क्षेत्र की अधिक पूंजी निवेश होने की स्थिति में अनिश्चितता कम होगी। उन्होंने कहा, ‘हम जो भी निवेश गतिविधियां आगे बढ़ाएंगे, वे अनिश्चितता को कम करने में अधिक योगदान देंगी। निजी क्षेत्र के पास अधिक संसाधन हैं।’
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के निवेश में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए ढांचागत बदलाव किया गया है। इस क्रम में नियमित रूप से आधारभूत ढांचे को बढ़ाया गया है, अनुपालन बोझ घटाया गया है और महत्त्वपूर्ण तकनीकों व खनिज अयस्क की सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं।
नागेश्वरन ने कहा, ‘बीते आठ वर्षों के रिकार्ड पर नजर डालें तो यह कहा जाता था कि इन चुनौतियों को हल किया जाएगा। सरकार ने बीते आठ से नौ वर्षों में इस पर कार्य किया। लिहाजा एक दौर से दूसरे दौर में जाने की बीच संकरापाइंट (निजी निवेश के लिए) आ गया है। मैं कहूंगा कि यह वास्तविकता से अधिक मनोवैज्ञानिक है।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन ने यह भी कहा कि भारत विश्व का ग्रोथ इंजन है। भारत से छोटे देशों की वृद्धि दर अधिक है और ऐसा वे कर भी सकते हैं।