अर्थव्यवस्था

OECD ने बढ़ाया भारत की FY24 GDP ग्रोथ का अनुमान, कहा ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगी हिस्सेदारी

OECD ने कहा है कि राजस्व बढ़ाने में ऋण पर निर्भरता कम करने, व्यय दक्षता में सुधार और मजबूत राजकोषीय नियम जैसे क्षेत्रों में और ज्यादा काम किए जाने की जरूरत है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- May 03, 2024 | 9:06 AM IST

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 40 आधार अंक बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। सार्वजनिक निवेश तेज बने रहने और कारोबारी विश्वास में सुधार की वजह से ओईसीडी ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में तेजी का अनुमान लगाया है।

उच्च आय वाली 38 अर्थव्यवस्थाओं के अंतर सरकारी समूह ने अपने ताजा आर्थिक परिदृश्य में कहा है, ‘घरेलू मांग सकल पूंजी सृजन, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश से संचालित होगी। वहीं निजी खपत में वृद्धि की रफ्तार सुस्त बनी हुई है। निर्यात में वृद्धि जारी रहेगी। खासकर सेवाओं और सूचना तकनीक व परामर्श क्षेत्र में तेजी रहेगी और भारत की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी में वृद्धि जारी रहेगी और इसे विदेशी निवेश से समर्थन मिलेगा।’

हालांकि एजेंसी ने यह भी कहा है कि निजी खपत कमजोर रहा है, जो ताजा घरेलू उपभोग व्यय सर्वे के शुरुआती निष्कर्षों की पुष्टि करता है।

इसमें कहा गया है, ‘ईवे बिल, टोल संग्रह और नए वाहन व स्कूटर की बिक्री जैसे कुछ उच्च आवर्ती संकेतकों से गतिविधियों में तेजी के संकेत मिल रहे हैं। अन्य संकेतकों जैसे डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन और सीमेंट का उत्पादन पूर्ववत बने हुए हैं।’

ओईसीडी ने कहा है कि राजस्व बढ़ाने में ऋण पर निर्भरता कम करने, व्यय दक्षता में सुधार और मजबूत राजकोषीय नियम जैसे क्षेत्रों में और ज्यादा काम किए जाने की जरूरत है। परिदृश्य में यह भी कहा गया है कि बहुत उच्च स्तर के सार्वजनिक ऋण को देखते हुए मौजूदा हिसाब से वित्तीय समेकन उचित है, जिससे निजी निवेश में रुकावट है।

परिदृश्य में कहा गया है, ‘राजकोषीय समेकन जरूरी है, जिसका असर सार्वजनिक निवेश पर पड़ेगा। इसका निजी निवेश की मजबूती पर सिर्फ आंशिक असर पड़ेगा क्योंकि कारोबारी विश्वास सुधरा है। परिवारों के व्यय (खासकर ग्राहकों की विवेकाधीन मांग) में तेजी आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि नौकरियों का सृजन निराशाजनक है और ग्रामीण इलाकों में प्रदर्शन सुस्त है और अभी भी वित्तीय स्थिति कमजोर है।’

वैश्विक मोर्चे पर जीडीपी वृद्धि 2024 में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इसमें 2023 की तुलना में कोई बदलाव नहीं होगा। 2025 में यह बढ़कर 3.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जिसे मजबूत वास्तविक आमदनी में वृद्धि और कम नीतिगत ब्याज दर से समर्थन मिलेगा।

वृद्धि की रफ्तार अलग अलग देशों में अलग रहने की संभावना है। यूरोप और बहुत कम आय वाले देशों में सुस्त वृद्धि रहने की संभावना है। वहीं अमेरिका और तमाम बड़ी उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं में मजबूत वृद्धि रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसून सामान्य रहने और आपूर्ति संबंधी कोई और झटका न लगने पर महंगाई दर कम हो सकती है और इससे भारतीय रिजर्व बैंक 2024 के आखिर में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है और मार्च 2026 के पहले कुल मिलाकर 125 आधार अंक की कटौती की संभावना है।

भारत की वृद्धि दर नीचे जाने के जोखिमों का उल्लेख करते हुए परिदृश्य में कहा गया है भूराजनीतिक बाधाओं के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मौसम की स्थिति प्रतिकूल रहने के कारम खाद्य महंगाई बने रहने और वैश्विक बाजारों में उथल पुथल होने पर वृद्धि घट सकती है।

बहरहाल अवस्फीति से ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ने, परिवारों की खपत बढ़ने, कारोबारी निवेश बढ़ने व नौकरियों के सृजन होने पर वृद्धि दर अनुमान से अधिक रह सकती है।

First Published : May 2, 2024 | 9:51 PM IST