भारत में प्राकृतिक गैस के नियामक ने कुछ शहरों की गैस मार्केट के आधारभूत ढांचे की एक्सक्लूसिविटी (विशेष अधिकार) की अवधि खत्म होने का नोटिस इस महीने की शुरुआत में जारी करके इस उद्योग को आचंभित कर दिया था। लेकिन उद्योग के जानकारों के अनुसार यह अप्रत्याशित कदम उठाए जाने के बाद भी प्रतिस्पर्धा की यथास्थिति में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने 4 मार्च को जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा कि मुंबई और ग्रेटर मुंबई के भौगोलिक क्षेत्र के लिए आधारभूत ढांचा एक्सक्लूसिविटी की मियाद खत्म हो चुकी है। इस समय अवधि को अप्रैल 2021 में ही खत्म होने की बात कही गई थी।
पीएनजीआरबी के खिलाफ दायर मामले में शहरी गैस वितरण (सीजीडी) कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे क्लारस लॉ एसोसिएट्स के वकील पीयूष जोशी ने कहा, ‘शहरी गैस वितरण कंपनियों के मार्केटिंग एक्सक्लूसिविटी पर पहले से ही मामला दर्ज है। हालांकि मार्च के नोटिस में पहली बार बुनियादी ढांचे की एक्सक्लूसिविटी का मुद्दा उठाया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘पीएनजीआरबी के बोर्ड में कानूनी क्षेत्र का कोई सदस्य नहीं है और इसके द्वारा पहले अधिसूचित साझे कैरियर के बारे में विनियमन पर भी मामला दर्ज है। ऐसे में यह नोटिस आश्चर्यचकित करने वाला है।’
पीएनजीआरबी ने ईमेल से भेजे जवाब में कानूनी क्षेत्र के सदस्य पर कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन उसने कहा, ‘कुछ भौगोलिक क्षेत्रों (जीए) के लिए आधारभूत ढांचे की एक्सक्लूसिविटी की अवधि पूरी हो चुकी है, लेकिन इकाइयों ने अवधि के विस्तार के लिए पीएनजीआरबी के समक्ष आवेदन नहीं किया है। इसलिए 4 मार्च 2024 की नोटिस के अनुसार ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों के लिए इन्फ्रा एक्सक्लूसिविटी की अवधि समाप्त हो चुकी है। लेकिन यदि किसी कंपनी ने विस्तार के लिए आवेदन किया है तो पीएनजीआरबी अधिनियम और विनियमन के तहत उस पर विचार किया जा सकता है।’
महाराष्ट्र गैस को गुरुवार हमने ईमेल भेजा था, लेकिन उसी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। इन नोटिस के कारण महानगर गैस के शेयर के मूल्य पर भी असर पड़ा और वह गुरुवार को 1279 तथा शुक्रवार को 1270 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ।
नुवामा के विश्लेषकों के अनुसार शेयर को संभलने का समय तक नहीं मिला। विश्लषकों के अनुसार, ‘पीएनजीआरबी के अनुसार एमजीएल का मुंबई में एकाधिकार अप्रैल, 2021 में ही खत्म हो गया था। हमारा तर्क है कि पूर्ववर्तियों की तरह इसका 10 वर्ष की अवधि के लिए विस्तार किया जा सकता है।
बाजार में नए प्रवेश करने वाले उन स्थानों पर मार्केटिंग नहीं कर सकते हैं, जहां महानगर पहले से ही वितरण कर रहा है। इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा कम से कम है। अदालत में लंबित मामलों का जब तक निपटारा नहीं हो जाता, तब तक इस मामले में आगे नहीं बढ़ा जा सकता।’ उद्योग के वरिष्ठ अधिकारीगण और विश्लेषक न्यूनतम प्रतिस्पर्धा के दृष्टिकोण से सहमत हैं।
आईसीआरए के कॉरपोरेट रेंटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख ग्रुप प्रशांत वशिष्ठ ने बताया, ‘तकनीकी रूप से पिछले कई वर्षों से ज्यादातर सीजीडी मार्केट के लिए तीसरे पक्ष की मार्केटिंग खुली हुई है लेकिन इन सर्कलों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।
बाजार में नए प्रवेश करने वालों के समक्ष दो बाधाएं हैं। पहला, मार्केटिंग एक्सक्लूसिविटी का मामला अदालत में विचाराधीन है और दूसरा, गैर व्यापारिक बाधाओं की आशंका को लेकर असहजता है।’ भारत में इंदौर, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद उन शहरों में हैं मार्केटिंग एक्सक्लूसिविटी कई साल पहले खत्म होने की बात की जा रही है, वहां कई गैस कंपनियां हैं।
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में मुकदमेबाजी बढ़ेगी जबकि अभी कुछ मुकदमें लंबित हैं।