अर्थव्यवस्था

खाड़ी से ज्यादा विकसित देशों से आया पैसा

2010-11 में देश में 55.6 अरब डॉलर धन प्रेषण हुआ था जो 2023-24 में दोगुना से भी ज्यादा 118.7 अरब डॉलर हो गया।

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अभिजित लेले   
Last Updated- March 19, 2025 | 11:22 PM IST

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विदेश से भारत भेजे गए कुल धन का आधे से अधिक हिस्सा अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से आया है। यह भारत के कुशल प्रवासियों के दूसरे देशों में जाने के पैटर्न में बदलाव को दर्शाता है। 2023-24 में भारत भेजे गए कुल धन में खाड़ी सहयोग परिषद (संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान तथा बहरीन) की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। 2010-11 में देश में 55.6 अरब डॉलर धन प्रेषण हुआ था जो 2023-24 में दोगुना से भी ज्यादा 118.7 अरब डॉलर हो गया।

भारत के धन प्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर से प्राप्त जानकारी के अनुसार खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सदस्य देशों से भारत भेजे जाने वाले धन के प्रभुत्व में धीरे-धीरे बदलाव आया है। सर्वेक्षण के नतीजों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मार्च 2025 बुलेटिन में ‘भारत के प्रेषण की बदलती गतिशीलता’ लेख में चर्चा की गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत को धन प्रेषण के मामले में विकसित अर्थव्यवस्थाएं खाड़ी देशों से आगे निकल गईं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे देशों से अधिक पैसा आ रहा है।

2023-24 में भारत भेजे गए कुल धन में सबसे अधिक 27.7 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की है, जबकि 202-21 में उसका हिस्सा 23.4 फीसदी था। यह अमेरिका के रोजगार बाजार में सुधार को दर्शाता है। अमेरिका के श्रमबल में विदेशी कर्मचारियों की हिस्सेदारी 2022 में 6.3 फीसदी रही जो 2019 में 0.7 फीसदी थी। हालांकि मूल निवासी कामगारों के मामले में यह हिस्सा मोटे तौर पर 1 फीसदी पर अपरिवर्तित रहा। इसके साथ ही अमेरिका में 78 फीसदी भारतीय प्रवासी प्रबंधन, व्यवसाय, विज्ञान और कला व्यवसायों जैसे उच्च आय वाले क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
भारत पैसे भेजने के मामले में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दूसरे स्थान पर बना हुआ है। 2020-21 में देश में भेजे गए कुल धन प्रेषण में यूएई की हिस्सेदारी 18 फीसदी थी जो 2023-24 में बढ़कर 19.2 फीसदी हो गई। यूएई भारतीय प्रवासी श्रमिकों का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां ज्यादातर प्रवासी निर्माण उद्योग, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र में काम करते हैं।

आरबीआई के अध्ययन में बताया गया है कि भारत भेजे जाने वाले धन में ब्रिटेन का हिस्सा 2020-21 में 6.8 फीसदी था जो 2023-24 में बढ़कर 10.8 फीसदी हो गया। इसका श्रेय भारत और ब्रिटेन के बीच ‘प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी’ को दिया जा सकता है।
हर साल ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों की संख्या 2020 के अंत तक 76,000 से तीन गुना बढ़कर 2023 के अंत तक लगभग 2,50,000 हो हो गई, जिनमें से लगभग आधे कामकाज के सिलसिले में गए थे।

सिंगापुर से भी धन प्रेषण बढ़ा है और देश में भेजे गए कुल धन में उसका हिस्सा 6.6 फीसदी रहा। इसी तरह 2023-24 में कनाडा से 3.8 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया से 2.3 फीसदी धन प्रेषण हुआ। कनाडा विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा स्थान बना हुआ है।

First Published : March 19, 2025 | 11:11 PM IST