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रुपये का दीर्घकालिक रुझान सकारात्मक

Last Updated- December 12, 2022 | 12:12 AM IST

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद रुपये का दीघकालिक रुझान सकारात्मक दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपया लॉन्ग कैरी ट्रेड्स के लिए एक पसंदीदा मुद्रा बन गई है और अधिक प्राप्तियों वाली भारतीय परिसंपत्तियों में इसका अंतरप्रवाह देखा जा रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों में बुधवार को आई नरमी के कारण रुपये पर दबाव थोड़ा कम हो गया लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि इस प्रकार का उतार-चढ़ाव फिलहाल कुछ समय तक बरकरार रहेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर रुपये में भी तेजी-नरमी दिख सकती है।
वास्तविक प्रभावी विनिमय दर के आधार पर रुपया अभी भी ओवरवैल्यूड है और विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह अपना सही स्तर हासिल करता है तो तकनीकी तौर पर 77 से 78 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक फिसल सकता है। हालांकि केंद्रीय बैंक रुपये में इस प्रकार की तेज गिरावट को देखना नहीं चाहेगा क्योंकि इससे तेल बिल बढ़ेगा और मुद्रास्फीति रुक जाएगी।
बुधवार को रुपया मामूली बढ़त के साथ 75.38 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जबकि इससे पिछले कारोबारी दिवस को यह 75.52 रुपये पर बंद हुआ था। मंगलवार को एशिया की अन्य मुद्राओं में भी गिरावट दर्ज की गई थी। गुरुवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 पैसे की तेजी के साथ 75.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले दो वर्षों से यह चीन की मुद्रा रेनमिंबी का अनुकरण कर रहा है जबकि डॉलर सूचकांक में आई हालिया तेजी से समीकरण में कुछ जटिलताएं आ गई हैं।
प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 फीसदी सुधार के साथ 94.46 पर पहुंच गया। अमेरिकी ट्रेजरी बिल में भी रातोंरात कुछ आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई जबकि भारत में खुदरा मुद्रास्फीति सकारात्मक तौर पर अचंभित कर रही है जो सितंबर में पिछले पांच महीनों के निचले स्तर 4.35 फीसदी तक फिसल गई। पिछले कुछ सत्रों के दौरान रुपये में उतार-चढ़ाव काफी दमदार रहा है। महीने की शुरुआत में रुपया 73.13 रुपये प्रति डॉलर पर था लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आते ही बुधवार को वह 75.52 रुपये डॉलर तक फिसल गया।

First Published - October 15, 2021 | 11:50 PM IST

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