अर्थव्यवस्था

पहली छमाही में भारत से कम हुआ विदेश में निवेश

आउटवर्ड FDI में कुल वित्तीय प्रतिबद्धताओं के 3 घटक इक्विटी, ऋण और गारंटी शामिल होते हैं

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अभिजित लेले   
Last Updated- July 16, 2023 | 11:38 PM IST

भारत का आउटवर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (OFDI) 2023 की पहली छमाही (जनवरी से जून)में घटकर 11.12 अरब डॉलर रह गया है, जो कैलेंडर वर्ष 2022 की समान अवधि में 23.57 अरब डॉलर था। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है।

आउटवर्ड एफडीआई में कुल वित्तीय प्रतिबद्धताओं के 3 घटक इक्विटी, ऋण और गारंटी शामिल होते हैं। 2023 के अप्रैल जून के दौरान प्रतिबद्धताओं में तेज कमी आई है। यह अप्रैल 2023 में घटकर 2.52 अरब डॉलर रह गया, जो अप्रैल 2022 में 4.03 अरब डॉलर था। मई में यह 1.29 अरब डॉलर (मई 2022 में 4.04 अरब डॉलर था) और फिर जून 2023 में और घटकर 0.97 अरब डॉलर (जून 2022 में 1.93 अरब डॉलर था) रह गया।

बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का पता चलता है।

निवेश का फैसला दीर्घावधि को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस समय कुछ विकसित देशों में चल रही मंदी और मौजूदा मंदी को देखते हुए बहुत सकारात्मक तस्वीर नहीं दिख रही है। विदेश में निवेश से जुड़े कुछ बैंकरों ने कहा कि विदेश में निवेश में गिरावट की स्थिति आगे और जारी रहने की संभावना है।

2023 की पहली छमाही में इक्विटी प्रतिबद्धताएं करीब 39.7 लाख डॉलर थीं, जो 2022 की पहली छमाही के 7.48 अरब डॉलर से कम हैं। जून 2022 को समाप्त 6 महीनों में ऋण प्रतिबद्धताएं 3.45 अरब डॉलर थीं, जो 2023 की पहली छमाही में 1.78 अरब डॉलर रह गईं। गारंटी 2022 की पहली छमाही के 12.63 अरब डॉलर से घटकर जनवरी-जून 2023 में 5.36 अरब डॉलर रह गई।

सबनवीस ने कहा कि वैश्विक वृद्धि का परिदृश्य सकारात्मक नहीं है।

सबनवीस का समर्थन करते हुए एडविक इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर सुनीत माहेश्वरी ने कहा कि भारत के कारोबारी चुनिंदा तरीके से निवेश कर रहे हैं। ऐसी जगह पर ही निवेश हो रहा है, जहां वृद्धि और मुनाफा है। उन्होंने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था अवसर दे रही है, जबकि अमेरिका व यूरोप में वृद्धि सुस्त है और ऐसे में विदेश में धन लगाने की प्रक्रिया सुस्त है।

First Published : July 16, 2023 | 11:38 PM IST