अर्थव्यवस्था

अच्छे दौर में है भारत की अर्थव्यवस्थाः मूडीज

कम होती महंगाई और मजबूत घरेलू खपत से भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी। 2025 और 2026 में GDP वृद्धि क्रमशः 6.6% और 6.5% रहने का अनुमान।

Published by
हर्ष कुमार   
Last Updated- November 15, 2024 | 9:39 PM IST

मूडीज रेटिंग्स ने शुक्रवार को प्रकाशित अपने ताजा वैश्विक व्यापक परिदृश्य में कहा है कि कम होती महंगाई और ठोस वृद्धि के साथ भारत की अर्थव्यवस्था अच्छे दौर में है। रेटिंग एजेंसी ने कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उसके बाद 2025 और 2026 में क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

2024 की जून तिमाही में सालाना आधार पर भारत की वास्तविक जीडीपी की वृद्धि 6.7 प्रतिशत रही है। परिवारों की खपत बहाल होने, तेज निवेश और मजबूत विनिर्माण गतिविधियों से इसे बल मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण और सेवा पीएमआई, तेज ऋण वृद्धि और ग्राहकों के भरोसे सहित महत्त्वपूर्ण संकेतकों से सितंबर तिमाही में तेज आर्थिग गति के संकेत मिलते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘घरेलू उपभोग में वृद्धि की संभावना है। इसे चल रहे त्योहारों के मौसम के बढ़े व्यय का सहारा मिल रहा है। साथ ही कृषि की स्थिति बेहतर होने के कारण ग्रामीण मांग में टिकाऊ तेजी बनी रहेगी। इसके साथ ही क्षमता के बढ़ते इस्तेमाल, कारोबारी धारणा तेज रहने और बुनियादी ढांचे पर सरकार के खर्च से निजी निवेश को समर्थन मिलेगा।’

मूडीज रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कॉरपोरेट और बैंकों की बैलेंस शीट में मजबूती और मजबूत बाहरी स्थिति के साथ पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से अर्थव्यवस्था की बेहतर बुनियादी धारणा भी भारत की वृद्धि के हिसाब से शुभ संकेत हैं। खाद्य कीमतों के दबाव की वजह से अस्थिरता बनी हुई है।

अक्टूबर में समग्र महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय 2 से 6 प्रतिशत की सीमा के पार चली गई है। सब्जियों की कीमत में तेज वृद्धि के कारण यह 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो एक साल से ज्यादा समय में पहली बार हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कम अवधि की तेजी के बावजूद आने वाले महीनों में महंगाई दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य की ओर पहुंचेगी क्योंकि ज्यादा बोआई और पर्याप्त अनाज भंडार के कराण कीमतों में कमी आएगी। हालांकि भू राजनीतिक तनावों और मौसम की स्थिति खराब होने पर महंगाई दर बढ़ने की पर्याप्त संभावना है। इसके कारण नीतिगत ढील को लेकर रिजर्व बैंक सावधानी बरत रहा है।’

रिपोर्ट में कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते व्यापारिक संरक्षणवाद का भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। कई देश घरेलू उद्योगों को मजबूती देने के ऐसा कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जी-20 देशों की ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं में स्थिर वृद्धि दर होगी और उन्हें नीतिगत ढील और जिंसों की कीमत का लाभ मिलेगा। बहरहाल अमेरिका में चुनाव के बाद हुए राजनीतिक बदलाव से उसकी घरेलू व अंतरराष्ट्रीय नीतियों में बदलाव हो सकता है और इससे वैश्विक आर्थिक विखंडन को बल मिल सकता है। इससे चल रही स्थिरीकरण की प्रक्रिया जटिल हो सकती है।’

First Published : November 15, 2024 | 9:39 PM IST