बीएस बातचीत
भारत ने अपनी संशोधित विदेश व्यापार रणनीति के हिसाब से काम करते हुए फरवरी से अभी तक यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते किए हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक इससे दुनिया में संदेश जाएगा कि भारत के दरवाजे कारोबार के लिए खुले हैं और वह अपनी वैश्विक पैठ बढ़ाना चाहता है। गोयल ने श्रेया नंदी को साक्षात्कार में बताया कि जब ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापक व्यापार समझौता होगा, तब उसमें पर्यावरण जैसे नए दौर के मुद्दे भी नजर आएंगे। बातचीत के अंश:
भारत को क्षेत्रीय व्यापक साझेदारी (आरसेप) से बाहर निकले करीब दो साल हो गए हैं। अब हमने एक के बाद एक दो व्यापार समझौते किए हैं। क्या आपको लगता है कि इससे भारत की छवि सुधरेगी? हम पूरे विश्व को किस तरह का संदेश भेज रहे हैं?
इसमें छवि सुधारने जैसा कुछ नहीं है। व्यापार समझौते दोनों देेशों के हित में हैं। व्यापार समझौतों से देशों के लोगों का फायदा होना चाहिए और समृद्धि आनी चाहिए। इससे रोजगार के मौके मिलने चाहिए और महत्त्वपूर्ण अच्छे नतीजे आने चाहिए, इसीलिए व्यापार समझौते होते हैं। ये छवि बनाने के लिए नहीं होते हैं। खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसी भी व्यापार समझौते को बहुत गंभीरता से लेती है और अगले 50 साल में उसकी संभावनाओं की पड़ताल करती है क्योंकि ये हम सब के जीवन के बाद भी बने रहते हैं। इन्हें काफी जांच-पड़ताल और सतर्कता के साथ किया जाता है। लेकिन निस्संदेह ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता संभावनाओं से भरपूर है, जिसमें दोनों देशों के लिए वृद्धि के अवसर हैं। मैं खुश हूं कि इस समझौते से दुनिया को संदेश मिलेगा कि भारत में कारोबार के लिए दरवाजे खुले हैं। भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय पैठ बढ़ाना चाहता है। हमें उम्मीद है कि हमारे उत्पाद और सेवाएं आगामी वर्षों के दौरान वैश्विक व्यापार में अहम भूमिका निभाएंगी। हमें पूरा भरोसा है कि विश्व का भारत, भारतीय उद्यमों और भारतीय सरकार पर जो भरोसा है, उससे हमें आगामी वर्षों में वृद्धि में मदद मिलेगी। कोई भी विकसित देश आज जहां है, वहां बिना अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नहीं पहुंचा है।
आपने ऑस्ट्रेलिया के साथ आर्थिक साझेदारी के बारे में कहा कि बाद में व्यापक व्यापार समझौते की गुंजाइश है। क्या कुछ मुद्दे फंसे हैं, जिन पर भविष्य में विचार किया जा सकता है?
दोनों देेशों के लिए मिलकर काम करने के बहुत से क्षेत्र हैं। एक उदाहरण है डिजिटल दुनिया। आईटी क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ रही है, इसलिए हम इस क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ ज्यादा जुडऩा चाहेंगे। इसके अलावा हम पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन की प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते में सरकारी खरीद पर कोई अध्याय क्यों नहीं है?
अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
अब हमने यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते कर लिए हैं? आगे किन देशों के साथ व्यापार समझौते की उम्मीद की जा सकती है?
हम ब्रिटेन और कनाडा के साथ पहले ही बातचीत शुरू कर चुके हैं। दोनों देशों के मंत्रियों ने हाल में भारत का दौरा किया था और हमने अंतरिम व्यवस्था के लिए औपचारिक बातचीत शुरू कर दी है ताकि अभी जो संभव है, उसे अमली जामा पहनाया जा सके। हमने यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ बातचीत शुरू कर दी है, लेकिन कोविड-19 के कारण अभी औपचारिक चर्चा शुरू नहीं कर पाए हैं। इसका खाका खींचने के लिए अगले सप्ताह वाणिज्य सचिव ब्रसेल्स जा रहे हैं, इसलिए अब ईयू भी सक्रिय हो जाएगा। इजरायल के साथ बातचीत चल रही है। हम व्यापार समझौते के नियम तय करने के लिए खाड़ी सहयोग परिषद के साथ भी चर्चा कर रहे हैं ताकि छह देशों के इस समूह के साथ व्यापार समझौता कर सकें।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) महज दो महीने बाद है। क्या ट्रिप्स छूट के मुद्दे पर कोई सहमति बन सकती है, जिस पर भारत जोर दे रहा है?
यह अलग तरह की बातचीत है और इसके नतीजों के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। यह सम्मलेन जून में है, इसलिए महानिदेशक नगोजी व्यापक चर्चा कर रहे हैं। हम इस चर्चा का अहम हिस्सा हैं, लेकिन इस पर अंतिम बयान नहीं आया है।
हाल में ट्रिप्स छूट के मुद्दे पर अच्छी प्रगति नजर आई है। आगे डब्ल्यूटीओ में सभी सदस्य देशों के बीच सहमति को लेकर आप कितने आशावादी हैं?
मेरा मानना है कि एमसी12 या डब्ल्यूटीओ जनरल फोरम या ट्रिप्स समिति के नतीजों के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी है, खास तौर पर मौजूदा भूराजनीतिक परिस्थितियों में।
हम 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य पहले ही पार कर चुके हैं। कुछ निर्यातकों का कहना है कि कोविड के बाद दबी मांग की वजह से निर्यात बढ़ा है। क्या आपको लगता है निर्यात की रफ्तार आगे भी बनी रहेगी?
मैं जितने भी कारोबारियों, निर्यात संवर्धन परिषदों और औद्योगिक संस्थाओं से मिलता हूं, सभी इस वृद्धि के रुझान को बनाए रखने को लेकर आश्वस्त हैं। सभी संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं।
निर्यातक कह रहे हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से उनका 40 से 50 करोड़ डॉलर का भुगतान अटक गया है। आपके विभाग की तरफ से किस तरह की दखल या सहायता की उम्मीद की जा सकती है?
वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है। वे अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में कोई समाधान तलाश रहे हैं। हम भुगतान समस्याओं का हल निकाल सकते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को किस तरह की सिफारिशें दी हैं?
यह वित्त मंत्रालय का मामला है। हम इस मामले में कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से उद्योग की मदद कर रहे हैं।
हम रूबल-रुपया व्यवस्था कब तक लागू होने की उम्मीद कर सकते हैं?
हमें नहीं पता कि क्या समाधान है और यह कब आएगा। मुझे इस बार में जानकारी नहीं है।