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Rare Earths संकट के बीच भारत का बड़ा प्लान — जापान से 13 साल पुराना करार तोड़ने की तैयारी में सरकार

भारत ने रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर रोक लगाकर घरेलू प्रोसेसिंग और मैग्नेट प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे चीन पर निर्भरता कम होगी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

Last Updated- June 13, 2025 | 4:58 PM IST
rare earth metals
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत ने अपनी रेयर अर्थ मेटल्स को घरेलू जरूरतों के लिए बचाने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने स्टेट-रन कंपनी इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) से जापान के साथ 13 साल पुराने निर्यात समझौते को रोकने के लिए कहा है। इस फैसले से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इसका मकसद चीन पर निर्भरता कम करना और देश में रेयर अर्थ प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाना है। चीन ने अप्रैल 2025 से रेयर अर्थ के निर्यात पर पाबंदी लगाई है, जिससे दुनिया भर के ऑटोमोबाइल और हाई-टेक इंडस्ट्री की सप्लाई चेन की दिक्कतें बढ़ गई हैं।

कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने हाल ही में ऑटो और दूसरे इंडस्ट्री के अधिकारियों के साथ मीटिंग में IREL को रेयर अर्थ, खासकर नियोडिमियम, का निर्यात रोकने को कहा। नियोडिमियम इलेक्ट्रिक वाहनों के मोटर में इस्तेमाल होने वाले मैग्नेट का अहम हिस्सा है। 2012 के एक सरकारी समझौते के तहत, IREL जापान की कंपनी टोयोट्सु रेयर अर्थ्स इंडिया को रेयर अर्थ सप्लाई करता है, जो इसे प्रोसेस करके जापान भेजती है। 2024 में टोयोट्सु ने 1,000 मीट्रिक टन से ज्यादा रेयर अर्थ जापान भेजा, जो IREL के कुल 2,900 टन उत्पादन का एक-तिहाई है। हालांकि, जापान अपनी रेयर अर्थ जरूरतों के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर है।

Also Read: चीन के एक फैसले से खतरे में मोबाइल से मिसाइल तक! क्या हैं रेयर अर्थ्स, भारत के सामने कैसी है चुनौती

देश में प्रोसेसिंग और माइनिंग बढ़ाने की योजना

IREL अब भारत में रेयर अर्थ को घरेलू स्तर पर रखना चाहता है और माइनिंग व प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है। एक सूत्र के मुताबिक, IREL चार खदानों के लिए जरूरी मंजूरी का इंतजार कर रहा है। हालांकि, जापान को सप्लाई तुरंत रोकना आसान नहीं, क्योंकि ये एक द्विपक्षीय सरकारी समझौते का हिस्सा है।

सूत्र के मुताबिक, IREL इसे ‘दोस्ताना तरीके से हल करना चाहता है, क्योंकि जापान भारत का एक दोस्त देश है’। हालांकि, जापान के ट्रेड मिनिस्ट्री ने इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

बता दें कि भारत के पास दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा रेयर अर्थ मेटल्स रिजर्व है, जो 6.9 मिलियन मीट्रिक टन है, लेकिन अभी मैग्नेट प्रोडक्शन की कोई घरेलू व्यवस्था नहीं है। मार्च 2025 तक भारत ने 53,748 मीट्रिक टन रेयर अर्थ मैग्नेट आयात किए, जो ज्यादातर चीन से आए। IREL ओडिशा में एक एक्सट्रैक्शन प्लांट और केरल में एक रिफाइनिंग यूनिट चलाता है। कंपनी मार्च 2026 तक 450 मीट्रिक टन नियोडिमियम निकालने की योजना बना रही है और 2030 तक इसे दोगुना करने का लक्ष्य है। IREL ऑटो और फार्मा इंडस्ट्री के लिए मैग्नेट प्रोडक्शन के लिए कॉर्पोरेट पार्टनर भी ढूंढ रहा है। साथ ही सरकार रेयर अर्थ मेटल्स प्रोसेसिंग और मैग्नेट प्रोडक्शन के लिए कंपनियों को इंसेंटिव देने की योजना बना रही है, ताकि घरेलू डिमांड पूरी की जा सके।

First Published - June 13, 2025 | 4:57 PM IST

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