भारत वर्ष 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Indian economy) बन जाएगा और केवल जापान और जर्मनी ही नहीं बल्कि दुनिया की महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा। Goldman Sachs की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह कहा गया है।
इन्वेस्टमेंट बैंक की रिपोर्ट में भारत की आबादी के 1.4 अरब पर पहुंचने के साथ देश की GDP के भी तेजी से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। वर्तमान में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जर्मनी, जापान, चीन और अमेरिका से पीछे है।
भारत का निर्भरता अनुपात अन्य रीजनल अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम में से एक होगा
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने गोल्डमैन सैक्स रिसर्च के भारतीय अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता के हवाले से कहा, “अगले दो दशकों में, भारत का निर्भरता अनुपात अन्य रीजनल अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम में से एक होगा।”
उन्होंने कहा, “भारत की तेजी से बढ़ती आबादी की क्षमता को सामने लाने की कुंजी इसकी श्रम शक्ति के भीतर भागीदारी को बढ़ावा देना है, साथ ही इसकी प्रतिभा के विशाल पूल के लिए प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करना है।”
सेनगुप्ता ने अमुमान जताया कि अगले 20 वर्षों में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का निर्भरता अनुपात सबसे कम होगा। उन्होंने कहा, “यह वास्तव में भारत के लिए विनिर्माण क्षमता स्थापित करने, सेवाओं में वृद्धि जारी रखने, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को जारी रखने के मामले में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के मुख्य बिंदु है।”
साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी भारत के लिए इनोवेशन और बढ़ती वर्कर प्रोडक्टिविटी महत्वपूर्ण होने वाली है।
कैपिटल इन्वेस्टमेंट भारतीय इकॉनमी की ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण कारक होगा
रिपोर्ट में कहा गया, “कैपिटल इन्वेस्टमेंट भी भविष्य में भारतीय इकॉनमी की ग्रोथ के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होगा। निर्मभरता अनुपात के घटने, इनकम बढ़ने और फाइनेंशियल सेक्टर में मजबूत विकास के साथ अनुकूल जनसांख्यिकी के कारण भारत की सेविंग्स रेट बढ़ने की उम्मीद है।”
रिपोर्ट के मुताबिक़, “इस मोर्चे पर, सरकार ने हाल के दिनों में भारी उठापटक की है। लेकिन भारत में निजी कॉरपोरेट्स और बैंकों की स्वस्थ बैलेंस शीट को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर के पूंजीगत खर्च (Capex) के लिए स्थितियां या माहौल अनुकूल हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के चालू खाते का घाटा कम हुआ है, इसलिए नेट एक्सपोर्ट भी विकास पर असर डाल रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सेवाओं के निर्यात ने चालू खाते के शेष को कम करने में मदद की है।
एक्सपोर्ट पर निर्भर अन्य अर्थव्यवस्थाओं को छोड़ भारत की इकॉनमी मुख्य तौर पर डॉमेस्टिक डिमांड पर निर्भर है। भारत की 60 प्रतिशत तक आर्थिक वृद्धि का श्रेय घरेलू उपभोग और निवेश को जाता है।