तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की राह पर भारत

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:35 PM IST

भारत एक बार फिर विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार ने अपनी भूमिका सीमित कर दी है। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने सालाना सीडी देशमुख मेमोरियल लेक्चर में आज कहा कि महामारी के दौरान 27 मार्च, 2020 से अब तक केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है।
पात्रा ने अपने भाषण में कहा, ‘हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं, लेकिन अभी लंबी दूरी तय करनी है।’ उन्होंने कहा कि निजी खपत और निवेश का काम अभी प्रगति पर है, जबकि आजीविका की बहाली किया जाना और एमएसएमई का पुनरुद्धार कठिन कार्य हैं, जिन्हें आगे किया जाना है।
डिप्टी गवर्नर, मौद्रिक नीति के प्रभारी और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य पात्रा ने अपने भाषण में कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक टिकाऊ आधार पर पुनरुद्धार और सतत विकास को लेकर प्रतिबद्ध है और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने की कवायद जारी है, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि महंगाई लक्ष्य के भीतर बनी रहे।’ मौद्रिक नीति तय करने के लिए एमपीसी की बैठक 7 से 9 फरवरी के बीच होनी है।
भारत का सकल घरेलू उत्पाद चालू वित्त वर्ष में 9.2 प्रतिशत बढऩे की संभावना है। वहीं भारत का निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान अमेरिकी डॉलर के हिसाब से 49.7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि आपूर्ति शृंखला बाधित होने के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर पड़ा है। वहीं आयात की मांग बढ़ रही है, क्योंकि घरेलू मांग सामान्य स्तर पर आ रही है।
रोजगार अभी पूरी तरह से बहाल होना बाकी है और श्रम की हिस्सेदारी कम बनी हुई है। बैंक ज्यादा कर्ज दे रहे हैं और उनके  बही खाते पर दबाव कम हो रहा है। पात्रा ने कहा कि महंगाई अभी रिजर्व बैंक के तय दायरे के स्तर पर बना हुआ है, हालांकि कच्चा तेल सहित जिंसों के दाम ज्यादा होने की वजह से यह बढ़ी हुई है।
केंद्रीय बैंक ने महामारी के असर को कम करने के लिए कई परंपरागत व गैर परंपरागत कदम उठाए हैं। पुनर्भुगतान पर मॉरेटोरियम और व्यक्तिगत स्तर पर व छोटे व्यापारियों को नकदी की विशेष सहायता देने के साथ केंद्रीय बैंक की तरलता संबंधी कदमों से उधारी की लागत करीब 17 साल के निचले स्तर पर है। पात्र ने कहा कि कुछ कदम महामारी के पहले भी उठाए गए थे, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने आने वाले दिनों में दबाव का अनुमान लगाया था।

First Published : January 28, 2022 | 11:21 PM IST