अर्थव्यवस्था

India Economy: दिसबंर में देश की वित्तीय स्थिति सुधरी

विदेशी निवेश, शेयर बाजार के प्रदर्शन और रुपये की स्थिरता से सुधार

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अभिजित लेले   
Last Updated- January 11, 2024 | 10:01 PM IST

देश की वित्तीय स्थिति दिसंबर, 2023 में महत्त्वपूर्ण रूप से सुधरी है। केयर एज रेटिंग ने गुरुवार को बताया कि देश की वित्तीय स्थिति के सुधार में बाहरी स्थितियों, शेयर बाजार के प्रदर्शन और रुपये की स्थिरता ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केयर एज फाइनैंशियल कंडीशन इंडेक्स (एससीआई) 28 व्यापक आर्थिक और वित्तीय संकेतकों का आकलन करता है।

यह दिसंबर 2023 में बढ़कर 44.6 हो गया जबकि यह नवंबर में 35.7 था। ऋण और मुद्रा बाजार में चुनौतियां होने के बावजूद स्थितियां लाभप्रद रहीं। रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि बाहरी कारकों जैसे पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव और ऊर्जा के दामों से पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रखे जाने की जरूरत है।

देश को दिसंबर, 2020 के बाद दिसंबर, 2023 में विदेशी संस्थागत निवेशकों से इस महीने में सर्वाधिक आवक (7.9 लाख करोड़ डॉलर) प्राप्त हुई। भारत के इक्विटी बाजार में दिसंबर के दौरान तेजी से बढ़त होने के कारण पीई अनुपात बढ़कर 25 से अधिक हो गया।

केयरएज रेटिंग्स के अनुसार, दिसंबर में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिरने, वैश्विक बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में मंदी, वैश्विक इक्विटी बाजारों में मजबूत प्रदर्शन और वैश्विक इक्विटी बाजार में अस्थिरता कम होने से बाहरी स्थितियों में सुधार हुआ।

मांग को लेकर चिंता के कारण कच्चे तेल की कीमतें नीचे बनी हुई हैं और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के बावजूद इन पर कोई खास असर नहीं देखा गया है। 2023 के अंत में MSCI उभरते बाजार सूचकांक में मामूली वृद्धि हुई।

केयरएज ने जनवरी में अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक जैसे प्रमुख बैंकों के महत्वपूर्ण फैसलों पर नजर रखने की सलाह दी। इसके अलावा, विशेष रूप से मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक संघर्षों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।

एजेंसी का अनुमान है कि भारत सरकार के बांड के लिए 10-वर्षीय बेंचमार्क यील्ड निकट अवधि में 7.0 से 7.25 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। आगामी बजट में लोन के आंकड़ों पर मुख्य फोकस रहेगा।

इस दौरान बैंकिंग प्रणाली की तरलता में उल्लेखनीय कमी के साथ मुद्रा बाजार की स्थितियाँ सख्त हो गईं, जिससे मुद्रा बाजार दरें ऊंची हो गईं। दिसंबर के अंत तक इंटरबैंक कॉल मनी दर रेपो दर से लगभग 31 आधार अंक अधिक थी।

First Published : January 11, 2024 | 10:01 PM IST