भारतीय तेल व प्राकृतिक गैस क्षेत्र के अन्वेषण व उत्पादन में वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर के निवेश की संभावनाएं हैं। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को बताया कि सरकार इस क्षेत्र में विनियमन संबंधी देरी को कम से कम करने की समर्थक है।
पुरी ने हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) द्वारा आयोजित तेल व प्राकृतिक गैस साझेदारों के परस्पर संवाद में निजी अन्वेषण व उत्पादन ऑपरेटरों और राष्ट्रीय तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक नए संयुक्त कार्यसमूह बनाने की घोषणा की। सरकार का ध्येय इस क्षेत्र में कारोबार की सुगमता को बढ़ाना है। यह समूह अगले आठ महीनों में नीति में बदलाव की जरूरतों पर अपनी सिफारिशें पेश करेगा।
फिलहाल भारत के 33.6 लाख वर्ग किलोमीटर के तलछटी क्षेत्र के 10 फीसदी में अन्वेषण जारी है। पुरी ने बताया कि सरकार का लक्ष्य 2024 के अंत तक इसे बढ़ाकर 16 फीसदी करना है। पुरी ने जोर देकर कहा, ‘हालांकि यह प्रक्रिया है। हमारे अन्वेषण प्रयासों का ध्यान अभी तक न खोजे गए संसाधनों की खोज पर केंद्रित होना चाहिए।’
अधिकारियों ने बीते सप्ताह बिज़नेस स्टैंडर्ड को जानकारी दी थी कि केंद्र की खुली एकरेज लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) में तेल व गैस संपत्तियों के 10वें दौर की नीलामी अगले माह से शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि इसी दौरान ओएएलपी नौ की निविदा प्राप्त करने वालों की घोषणा की जाएगी। पहले आठ दौर की घोषणा में करीब 2.44 लाख वर्ग किलोमीटर के कुल144 ब्लॉक की निविदाएं जारी की जा चुकी हैं। हालांकि यह सरकार के 2030 तक के 10 लाख वर्ग किलोमीटर दायरे के अन्वेषण के लक्ष्य से कहीं कम है। इसमें भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में ‘नो-गो’ क्षेत्र को भी करीब 99 प्रतिशत कम कर दिया गया है।
हालांकि साल 2015 में डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड (डीएसएफ) नीति की शुरुआत के बाद से करीब 2 अरब डॉलर का निवेश जुटाया जा चुका है और इसमें 29 नए खिलाड़ी शामिल हो गए हैं। पुरी ने बताया, ‘हाल के विशिष्ट डीएसएफ निविदा दौर में मुंबई और पश्चिम बंगाल के अपतटीय इलाकों में नए अवसर हैं।’
मंत्री ने बताया कि डीजीएच नैशनल डेटा रिपोजिटरी (एनडीआर) को बेहतर करने के लिए अगले एक महीने में एक वर्क आर्डर जारी करेगा। इस क्रम में इसे एनडीआर से क्लाउड आधारित एनडीआर में बदला जाएगा। डीजीएच को निर्देशित किया गया है कि वह वित्त वर्ष से पहले सभी सालाना कार्य को मंजूरी दे ताकि ठेकेदार निर्धारित समय में अपनी गतिविधियों को पूरा कर सकें। इस साल के अंत तक सभी ऑनलाइन पोर्टल का समन्वय पूरा कर लिया जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत की तेल कंपनियां तेल व गैस आयात के लिए रूस के साथ संभावित दीर्घावधि सौदे के लिए प्राथमिक स्तर पर बातचीत कर रही हैं। इसकी बारीकियों पर बाद में बातचीत होगी। यह मामला संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ हालिया द्विपक्षीय बातचीत में भी उठाया गया है।