सरकार 21 सूचीबद्घ सार्वजनिक कंपनियों में हिस्सेदारी घटाने पर ध्यान देगी लेकिन शेयर बिक्री से अधिकतम मूल्य हासिल करने के लिए उचित समय का इंतजार करेगी। हालांकि विनिवेश की रणनीति के तहत इन शेयरों की बिक्री के लिए फिलहाल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) या खुली पेशकश (ओएफएस) लाने की कोई योजना नहीं है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि बाजार के अध्ययन से पता चला है कि ईटीएफ से शेयरों का मूल्य कम हो जाता है और भावी आरंभिक निर्गम (आईपीओ) के मूल्य में भी कमी आती है।
निवेश एवं सार्वजनिक संंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा, ‘हमने निर्णय किया है कि अब हम ईटीएफ की आगे की किस्त नहीं लाएंगे। हम बार-बार एक ही शेयर को लेकर बाजार में नहीं जाएंगे। हम दीर्घावधि के निवेशकों का ध्यान रखेंगे।’
अब तक ईटीएफ सरकार की पसंदीदा रणनीति रही है और वित्त वर्ष में शेयर बिक्री का करीब 80 फीसदी हिस्सा इसी के जरिये आया है। वित्त वर्ष 2021 में भी सरकार ने रक्षा उपरकण विनिर्माता हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स और भारत डायनमिक्स के ओएफएस से 5,605.63 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों को पूरा करने के लिए सरकार 21 सूचीबद्घ सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी कम करेगी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 2.1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। इनमें एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) की रणनीतिक बिक्री शामिल है लेकिन कोविड के कारण योजना प्रभावित हो रही है।
विनिवेश लक्ष्य का एक हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में हिस्सेदारी बेचने और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ से आएगा। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार इस वर्ष आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की योजना पर आगे बढऩा चाहती है, जबकि एलआईसी का आईपीओ लाने की योजना बाजार की हालत देखते हुए उपयुक्त समय पर लाई जाएगी। खस्ताहाल बाजार में सरकारी बैंकों के कमजोर मूल्यांकन के मद्देनजर सरकार इनमें हिस्सेदारी बेचने की योजना पर तत्काल विचार करने से दूर रह सकती है। हालांकि सरकार साार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए हालात सुधरने तक कम से कम एक वर्ष इंतजार कर सकती है।
इस वर्ष अब तक सरकार रक्षा साजो-सामान बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और भारत डायनामिक्स में हिस्सेदारी बेचकर 5,695.63 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2021 में सरकार ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के आईपीओ से 15.17 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 444 करोड़ रुपये जुटाए हैं।