सार्वजनिक कंपनियों से सरकार को मिला लाभांश वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित लक्ष्य को पार कर गया है। विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि यह वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 62,929.27 करोड़ रुपये रहा है, जो संशोधित लक्ष्य से करीब 26 फीसदी अधिक है।
अनुमान से अधिक लाभांश संग्रह की वजह साल 2020 में पेश की गई सतत लाभांश नीति है, जिसके तहत सरकार द्वारा संचालित कंपनियों को वार्षिक भुगतान की जगह अंतरिम लाभांश का भुगतान करना पड़ता है।
वित्त वर्ष 2024 की शुरुआत में 43,000 करोड़ रुपये लाभांश का लक्ष्य रखा गया था, जिसे संशोधित अनुमान में बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। वित्त वर्ष 2025 के लिए सरकार ने इस तरह का लाभांश 48,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है।
केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा वित्त वर्ष 2024 में लाभांश में तेज वृद्धि के विपरीत विनिवेश प्राप्तियां सरकार के अनुमान से पीछे हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में जो विनिवेश लक्ष्य रखा था, उसका लगभग 92 प्रतिशत यानी 16,507.29 करोड़ रुपये हासिल कर सकी है।
सरकार ने अंतरिम बजट दस्तावेज में विनिवेश से प्राप्तियों के संशोधित अनुमान के आंकड़े साझा नहीं किए हैं, लेकिन दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने पिछले महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि सरकार मार्च के अंत तक विनिवेश से 18,000 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अगले साल से विनिवेश के लिए कोई खास लक्ष्य रखने के दृष्टिकोण से बच रही है। सरकार ने साल की शुरुआत में विनिवेश प्रक्रिया से 51,000 करोड़ रुपये आने का अनुमान लगाया था।
बहरहाल, हिस्सेदारी बेचने से जुड़े प्रमुख लेनदेन टल गए क्योंकि राज्यों के चुनाव चल रहे थे और आम चुनाव अप्रैल से होने जा रहे हैं। उदाहरण के लिए आईडीबीआई बैंक, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील, बीईएमएल में हिस्सेदारी इस वित्त वर्ष में बेचने की योजना बनाई गई थी, लेकिन उसमें देरी हो रही है।
सरकार द्वारा जुटाए गए 16,507.29 करोड़ रुपये में से ज्यादातर शेयर बाजार में छोटे लेनदेन जैसे कोल इंडिया के ऑफर फार सेल (OFS), रेल विकास निगम लिमिटेड, एसवीजेएन लिमिटेड (SJVN Limited), हाउसिंग ऐंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईआरईडीए (IRDAI) और इरकॉन इंटरनैशनल लिमिटेड और एनएलसी इंडिया लिमिटेड से जुड़े लेन-देन शामिल हैं।
यह लगातार चौथा मौका है, जब सरकार साल की शुरुआत में तय विनिवेश लक्ष्य पूरा करने में सक्षम नहीं हुई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2019 में सरकार विनिवेश लक्ष्य पूरा कर पाई थी।
वित्त वर्ष 2020 में वास्तविक संग्रह साल के बजट अनुमान (बीई) का आधा था। महामारी के वर्षों वित्त वर्ष 2021 और 2022 में प्राप्तियां उल्लेखनीय रूप से बजट अनुमान से कम थीं और यही स्थिति वित्त वर्ष 2023 में भी बनी रही।