अर्थव्यवस्था

बांग्लादेश को मेथनॉल निर्यात की योजना रद्द कर सकती है सरकार

Published by
शुभायन चक्रवर्ती
Last Updated- May 04, 2023 | 11:53 PM IST

सरकार बांग्लादेश को मेथनॉल निर्यात करने की योजना ठंडे बस्ते में डाल सकती है क्योंकि केंद्र एक बार फिर वैकल्पिक ईंधन की रणनीति की ओर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मेथनॉल पर आधारित पेट्रोल उत्पादन पर हुए शोध के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए सरकार अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रही है।

अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि असम स्थित सरकारी तेल विपणन कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) इस विषय पर अंतिम चरण के परीक्षण कर रही है और परिणाम उत्साहजनक हैं।

घरेलू मांग बढ़ने के अनुमान और नए वैकल्पिक ईंधन की ओर ग्राहकों के रुझान की वजह से भी सरकार मेथनॉल को विश्वसनीय पौध आधारित ईंधन के रूप में देख रही है।

इसके पहले ओआईएल और असम सरकार के संयुक्त उद्यम असम पेट्रोकेमिकल्स ने पड़ोसी देश में ईंधन निर्यात की योजना की पुष्टि की थी।

मेथनॉल कम कार्बन, हाइड्रोजन कैरियर ईंधन है, जिसका उत्पादन हाई ऐश कोल, कृषि अवशिष्ट, ताप बिजली घरों से मिलने वाले कार्बनडाई ऑक्साइड और प्राकृतिक गैस से होता है। मेथनॉल इकनॉमी खाके के तहत नीति आयोग ने कहा था कि सीओपी-21 की भारत की प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए यह बेहतर राह है और एम15 पेट्रोल या 15 प्रतिशत मेथनॉल मिश्रित पेट्रोल पेश करने का तर्क दिया था।

पेट्रोल और डीजल की तुलना में ऊर्जा की मात्रा कम होने के बावजूद परिवहन के क्षेत्र, डीजल जेनरेटर सेट इस्तेमाल वाले ऊर्जा क्षेत्र, बॉयलर, प्रॉसेस हीटिंग मॉड्यूल्स, ट्रैक्टरों और कमर्शियल वाहनों में मेथनॉल इन दोनों ईंधनों की जगह ले सकता है। खाना पकाने में मेथनॉल के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान है, जो एलपीजी केरोसिन और वुड चारकोल की जगह ले सकता है।

पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथनॉल मिलाने से पेट्रोल और कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15 प्रतिशत कमी आ सकती है। इसके साथ ही इससे ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम होगा। पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड के हिसाब से उत्सर्जन में 20 प्रतिशत कमी आएगी और इससे शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

नीति आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह अब साबित हो चुका है कि वैकल्पिक ईंधन का संतुलित मिश्रण ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। पिछले 2 साल में हमने पाया है कि हमें बहुपक्षीय रणनीति की जरूरत है। मेथनॉल तकनीक की औसत लागत भी कम हुई है और कुशलता में भी वृद्धि हुई है।’ उन्होंने कहा कि भारत को इस इलाके में वैकल्पिक ईंधन के निर्यात का केंद्र बनना चाहिए, लेकिन घरेलू जरूरतें प्राथमिकता पर होंगी।

नीति आयोग ने कहा है कि मेथनॉल की कैलोरिफिक वैल्यू एथनॉल से कम है, इसलिए एक लीटर एथनॉल जितनी ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए 1.28 लीटर मेथनॉल की जरूरत होगी। बहरहाल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेथनॉल भारत के लिए सबसे सस्ता ईंधन बन सकता है। कोयले से इसका उत्पादन देश में उपलब्ध सबसे व्यावहारिक विकल्प है।

बांग्लादेश से बात

राज्य सरकार बांग्लादेश को रसायनों के निर्यात को लेकर उत्साहित है। एपीएल में 1,337 करोड़ रुपये की लागत से 500 टन प्रतिदिन मेथनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाई गई है और 200 टन प्रतिदिन फॉर्मएल्डेहाइड उत्पादन की क्षमता बढ़ाई गई है।

पड़ोसी देश में मेघालय होकर निर्यात के लिए इसके पहले एक संयुक्त समूह द्वारा व्यवहार्यता अध्ययन कराया गया है, जिसमें बांग्लादेश के केमिकल आयातक और एपीएल के अधिकारी शामिल थे। इस सिलसिले में 2022 में बातचीत हुई थी।

शुरुआती चरण में अधिकारी सरकार से सरकार के बीच हस्तक्षेप को लेकर सहमत हुए थे, जिससे रासायनिक उत्पादों को प्रमाणपत्र मिल सके, जिसकी स्वीकार्यता दोनों देशों में हो। दोनों पक्ष लैब टेस्टिंग सुविधा विकसित करने के लिए सहमत हुए थे। लेकिन इन योजनाओं को लागू करने की अंतिम तिथि पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

First Published : May 4, 2023 | 11:53 PM IST