अर्थव्यवस्था

उद्योग जगत की मांग पूरी: सरकार ने कंपनियों को पुरानी पैकेजिंग 2026 तक इस्तेमाल की दी छूट

केंद्र सरकार ने जीएसटी अधिसूचना में बदलाव कर पुरानी पैकेजिंग इस्तेमाल की समय सीमा बढ़ाई और विज्ञापन की अनिवार्यता खत्म कर उद्योग जगत को राहत दी

Published by
मोनिका यादव   
अक्षरा श्रीवास्तव   
Last Updated- September 18, 2025 | 10:17 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हाल में किए गए बदलावों के बीच सरकार ने विनिर्माताओं, पैकरों व आयातकों को बड़ी राहत दी है। केंद्र ने 9 सितंबर की अधिसूचना में बदलाव करते हुए कीमत में बदलाव करने पर अनिवार्य रूप से अखबारों में विज्ञापन देने की शर्त खत्म कर दी है। साथ ही पैकेजिंग की जा चुकी पुरानी सामग्री के इस्तेमाल की समय सीमा भी बढ़ा दी गई है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जारी संशोधित अधिसूचना के अनुसार पुरानी पैकेजिंग सामग्री को खत्म करने की समय सीमा 31 मार्च, 2026 तक या आपूर्ति खत्म होने तक बढ़ा दी गई है। पहले यह समय सीमा 31 दिसंबर, 2025 तय की गई थी।

सरकार की 9 सितंबर की एडवाइजरी में विनिर्माताओं, पैकरों व आयातकों को 31 दिसंबर, 2025 तक न बिक पाए पुराने माल के अधिकतम खुदरा मूल्य में बदलाव करने का प्रावधान था, जो मुहर लगाकर, स्टिकर लगाकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग के माध्यम से करना था। साथ ही पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विनिर्माताओं और आयातकों द्वारा दो समाचार पत्रों में विज्ञापन, डीलरों को नोटिस और कानूनी प्राधिकारियों को जानकारी देना अनिवार्य किया गया था।

संशोधित अधिसूचना में कहा गया है, ‘उद्योग जगत की चिंताओं पर विचार करने और इसके पहले 09.09.2025 को जारी अधिसूचना में बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने ऐसे निर्माताओं, पैकरों, आयातकों और उनके प्रतिनिधियों को स्वेच्छा से अतिरिक्त संशोधित मूल्य स्टिकर चिपकाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है, जो 22 सितंबर, 2025 से पहले विनिर्मित हैं और उनके पास पड़े बिना बिके रह गए हैं।’

नई अधिसूचना के मुताबिक समाचार पत्र विज्ञापनों के बजाय, कंपनियों को अब थोक डीलरों, खुदरा विक्रेताओं और अन्य को संशोधित कीमतों के बारे में जानकारी देनी होगी, जिसकी एक प्रति केंद्र सरकार के कानूनी मेट्रोलॉजी निदेशक और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कानूनी मेट्रोलॉजी नियंत्रक को देनी होगी। इसके अतिरिक्त बिना बिके स्टॉक पर संशोधित यूनिट बिक्री मूल्यों की घोषणा अब वैकल्पिक है, जो 22 सितंबर, 2025 से पहले बने माल पर लागू है। सलाह में साफ किया गया है कि मौजूदा नियमों को उस तारीख से पहले मूल्य स्टिकर अपडेट अनिवार्य नहीं है, जिससे व्यवसायों को लचीलापन मिलता है।

डेलॉयट में पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि लेबलिंग और मीडिया विज्ञापन देने के मामले में कड़े प्रावधान बदलने से उद्योग जगत को बड़ी राहत मिलेगी।

रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान बनाने वाली कंपनियों और व्यापार साझेदारों ने 9 सितंबर की अधिसूचना के दिशानिर्देशों को लेकर चिंता जताई थी। एक कारोबारी साझेदार ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा कि हिंदुस्तान यूनिलीवर और पीऐंड जी जैसी अधिकांश बड़ी कंपनियों ने पहले ही नोटिस और विज्ञापनों के माध्यम से अधिकतम खुदरा मूल्य घटाने की घोषण कर दी थी, उनके लिए नई अधिसूचना बड़ी राहत है।

First Published : September 18, 2025 | 10:17 PM IST