सरकार रबर पर आयात शुल्क घटाने पर अभी विचार नहीं कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। उद्योग से जुड़ा एक तबका रबर पर आयात शुल्क में कटौती की मांग कर रहा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सरकार का मानना है कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कीमत में अंतर अभी बरकरार है।
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा, ‘स्थानीय उत्पादन की तुलना में हम जो आयात प्राप्त कर रहे हैं, उसके लिए हमने पहले से ही एक अंतर बनाए रखा है।’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप स्थानीय कीमत की अंतरराष्ट्रीय मूल्य से तुलना करें तो उस आयात शुल्क के कारण ही अंतर बना हुआ है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि अभी आयात शुल्क कम करने पर कोई पुनर्विचार किया जा रहा है।’
उद्योग के घरेलू उपयोगकर्ता की शुल्कों में कटौती की मांग कर रहे हैं और स्थानीय उत्पादक किसी भी शुल्क कटौती के खिलाफ हैं। इस समय प्राकृतिक रबर पर 25 प्रतिशत या 30 रुपये किलो आयात शुल्क लगता है, जो भी ज्यादा हो।
देश में 13 लाख से अधिक रबर उत्पादक हैं। उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा केरल का है। रबर का उत्पादन 2022-23 में 8.39 लाख टन था, उस वित्त वर्ष में खपत 13.5 लाख टन थी। यह अंतर वियतनाम, मलेशिया और देशों से आयात द्वारा पूरा किया जाता है।