भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्घि का अपना पहला अनुमान जारी किया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपने बयान में कहा है कि कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
आरबीआई ने त्रैमासिक अनुमान भी जारी किया है। पहली तिमाही में 24 प्रतिशत की गिरावट के बाद, केंद्रीय बैंक को दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी 9.8 प्रतिशत घटने का अनुमान है।
चूंकि वृद्घि में सुधार आ रहा है और एमपीसी का कहना है कि मुद्रास्फीति नरम पड़कर वित्त वर्ष 2021 के शेष समय में 4.5-5.4 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। वहीं 2021-22 की पहली छमाही में यह घटकर 4.3 प्रतिशत रहेगी, लेकिन यह ध्यान देने की जरूरत है कि यदि आपूर्ति को लेकर हालात मजबूत नहीं होते हैं तो परिदृश्य के लिए बड़ा जोखिम बना रह सकता है।
समिति ने स्पष्ट कहा है कि इस समय वृद्घि उसकी प्राथमिकता थी, और मुद्रास्फीति में तेजी स्वाभाविक तौर पर क्षणिक है।
एमपीसी द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘एमपीसी का मानना है कि अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के दबाव से निकालना मौद्रिक नीति के क्रियान्वयन में सर्वोच्च प्राथमिकता है।’
जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, लेकिन एमपीसी का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण बढऩे और सख्त सोशल डिस्टेंसिंग उपायों की वजह से शहरी मांग में सुधार मुश्किल दिख रहा है। समिति को निर्माण के मुकाबले ‘कॉन्टैक्ट-इंटेंसिव’ सेवा क्षेत्र में बाद में सुधार आने का अनुमान है। निर्माण क्षेत्र में सुधार चौथी तिमाही में दिखने की संभावना है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘निजी निवेश और निर्यात, दोनों में नरमी आने की आशंका है, खासकर बाहरी मांग अभी भी कमजोर बनी हुई है।’
लॉकडाउन में नरमी और अंतर्राज्यीय गतिविधियों पर प्रतिबंध हटने से मुद्रास्फीति में नरमी आएगी। इसी तरह, खरीफ फसल के बाद खाद्य आपूर्ति भी बढ़ेगी। लेकिन मांग संकेतक एमपीसी के आकलन में आशंकित दिख रहे हैं, क्योंकि कंपनियों की मूल्य निर्धारण ताकत कमजोर बनी हुई है।
आपूर्ति से संंबंधित समस्याओं से खाद्य कीमतें चढ़ी हैं, और मोटे अनाजों के मुकाबले अंडा, मांस, दलहन जैसे प्रोटीन-युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में ज्यादा तेजी आई है।
विश्लेषकों का कहना है कि वृद्घि पर आरबीआई का आकलन मौजूदा संकेतकों के मुकाबले कुछ हद तक सकारात्मक है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘चौथी तिमाही में कमजोर वृद्घि का अनुमान सितंबर 2020 के लिए सकारात्मक आंकड़े को देखते हुए जताया गया लग रहा है, जिसकी स्थिरता अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। हम इन शुरुआती सुधारों की अस्पष्टता को लेकर सतर्क बने हुए हैं।’
नीति के साथ प्रकाशित अपनी छमाही मौद्रिक नीति रिपोर्ट में आरबीआई ने दो कारण बताएं हैं: पहला, कोविड की स्थिति में तेज सुधार और आपूर्ति की राह आसान होना, और दूसरा, महामारी में गिरावट तथा टीके में विलंब। महामारी को नियंत्रित करने के संदर्भ में उम्मीद से बेहतर सुधार से जीडीपी गिरावट 7.5 प्रतिशत पर सीमित हो सकती है, लेकिन विपरीत हालात में गिरावट का यह आंकड़ा 11.5 प्रतिशत भी हो सकता है।
हालांकि, अनुकूल हालात में तेल कीमतें मौजूदा उत्पादन कटौती से बढऩे का अनुमान है जिससे मुद्रास्फीति को अनुमानित आंकड़ों से ऊपर जाने में मदद मिल सकती है।