अर्थव्यवस्था

विदेशी निवेशकों ने जमकर डाले पैसे, रुपये में आई दमदार तेजी

CPI आधारित मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है और यह मई में 24 महीने नीचे आकर 4.25 प्रतिशत रह गई

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- June 29, 2023 | 11:43 PM IST

वर्ष 2022 में डॉलर के मुकाबले 10 प्रतिशत गिरने के बाद रुपये ने 2023 में सुधार दर्ज किया है। RBI के समय पर हस्तक्षेप की वजह से मजबूत पोर्टफोलियो निवेश की मदद से रुपये को ताकत मिली है।

भारतीय रुपया पिछले 6 महीनों में 28 जून तक 0.16 प्रतिशत तक चढ़ा है। 12 ए​शियाई मुद्राओं में डॉलर की तुलना में बढ़त के लिहाज से रुपया तीसरे पायदान पर रहा और 23 उभरते बाजारों की मुद्राओं में 12वें स्थान पर।

RBI की एक ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि इसके अलावा, भारतीय रुपया 2008 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर उतार-चढ़ाव के साथ सबसे ज्यादा ​स्थिर मुद्राओं में से एक बन गया है।

रुपये की ताकत के पीछे कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है, मुख्य तौर पर मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) प्रवाह, जो मजबूत वृहद आ​र्थिक बुनियादी आधार पर केंद्रित था। भारत की GDP वृद्धि जनवरी-मार्च में तेजी से बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई जो अक्टूबर-दिसंबर में 4.5 प्रतिशत थी।

शुद्ध FPI निवेश मासिक आधार पर सकारात्मक रहा और मार्च में यह 5,900 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल में तेजी से बढ़कर 13,500 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

मई में 48,300 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया, और जून में (बुधवार तक) यह आंकड़ा करीब 29,000 करोड़ रुपये था। बाजार गुरुवार को बकरीद की वजह से बंद थे।

उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है और यह मई में 24 महीने नीचे आकर 4.25 प्रतिशत रह गई।

​शिन्हान बैंक के उपाध्यक्ष कुणाल सोधानी का कहा है, ‘आयात-केंद्रित देश होने की वजह से, कच्चे तेल की कीमतें 70-80 डॉलर प्रति बैरल के सीमित दायरे में बनी हुई हैं, जो भारत के लिए सकारात्मक है, और GDP आंकड़ा 6.1 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जो काफी हद तक आशाजनक है।’

उनका कहना है, ‘घरेलू तौर पर, हमारा मानना है कि मजबूत FPI निवेश के साथ साथ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और प्रवासी भारतीयों द्वारा रकम भेजने का सिलसिला भी बढ़ा है। इसके अलावा, CPI घटने और चालू खाता घाटा नरम पड़ने से भी रुपये को ताकत मिली है।’

रुपये में तेजी सीमित रही, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा ​भंडार को मजबूत बनाने के लिए डॉलर खरीदे। आरबीआई ने उतार-चढ़ाव रोकने और विनिमय दर में अ​​स्थिरता सीमित करने के लिए भी डॉलर की खरीदारी की।

सोधानी ने कहा, ‘पिछले 6 महीनों में, RBI ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है और हम अपना भंडार बढ़ाकर 596 अरब डॉलर पर पहुंचाने में सक्षम रहे, जो 528 अरब डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया था।’

Also read: Byju’s के को-फाउंडर ने पहली बार की कर्मचारियों से बातचीत, कहा- जल्द ही गुजर जाएंगे संघर्ष के दिन

उन्होंने कहा, ‘भंडार के संचय से यह स्पष्ट हुआ है कि मुद्रा पुनर्मूल्यांकन के अलावा व्यापक स्तर पर हस्तक्षेप किया गया, और हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीनों के आयात के लिहाज से पर्याप्त होगा।’

रुपया पिछले 6 महीनों में डॉलर के मुकाबले 81.5 से 83 के दायरे में रहा है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली का कहना है, ‘आरबीआई ने न तो रुपये में ज्यादा तेजी और न ही इसमें ज्यादा गिरावट आने दी है। मेरा मानना है कि ब्याज दरें पिछले 6 महीनों में मुख्य कारक रहीं।’

Also read: GST के 6 साल राजस्व के मोर्चे पर कामयाबी, कई चुनौतियां बरकरार

अमेरिकी फेडरल की ओपन मार्केट कमेटी द्वारा अपनी जून की बैठक में दरें 5-5.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखने के बाद तेजी की धारणा रुपये के लिए अनुकूल साबित हुई। मार्च 2022 के बाद अमेरिकी फेड ने अपनी दरों में वृद्धि नहीं की है।

केंद्रीय बैंक वै​श्विक अनि​श्चितताओं के बीच मौजूदा कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में उतार-चढ़ाव सीमित करने में सक्षम रहा था।

अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने संसद को यह बताया था कि यदि डेट सीलिंग संकट को 1 जून तक दूर नहीं किया गया तो सरकार अपनी भुगतान क्षमताओं में विफल साबित होगी। इसके बाद से वैश्विक वित्तीय बाजारों में चिंता की लहर पैदा हो गई थी।

First Published : June 29, 2023 | 7:56 PM IST