केंद्र सरकार ने पांच राज्यों को 9,913 करोड़ रुपये का अतिरिक्त संसाधन खुले बाजार उधारी से जुटाने की अनुमति दी है।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा को यह अनुमति एक देश एक राशन कार्ड प्रणाली की सुधार शर्त को सफलतापूर्वक अपनाने केबाद मिली है।
कर्नाटक अब 4,509 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार ले सकता है जबकि आंध्र प्रदेश 2,525 करोड़ रुपये जुटा सकता है। इसके बाद तेलंगाना को 2,508 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी गई है। गोवा को बाजार से 223 करोड़ रुपये और त्रिपुरा को 148 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति है।
अप्रत्याशित कोविड-19 महामारी को देखते हुए केंद्र ने मई में राज्यों को वित्त वर्ष 2020-21 के अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 फीसदी तक अतिरिक्त उधारी जुटाने की अनुमति दी थी। इसके जरिये राज्यों के पास 4,27,302 करोड रुपये की रकम आएगी।
इसमें से आधी रकम 4 विशिष्ट राज्य स्तरीय सुधारों को लागू करने के बाद जुटाई जा सकती है जिसमें प्रत्येक सुधार का भारांक जीएसडीपी का 0.25 फीसदी है। इन सुधारों में एक देश एक राशन कार्ड प्रणाली, कारोबारी सुगमता सुधार, शहरी स्थानीय निकाय और उपयोगिता सुधार और बिजली क्षेत्र में सुधार शामिल है। बाकी 1 फीसदी की अतिरिक्त उधारी सीमा को 0.50 फीसदी की दो किस्तों में दी जानी थी। पहली किस्त सभी राज्यों को शर्त रहित और दूसरी किस्त उक्त सुधारों में से कम से कम तीन को पूरा करने पर दी जाएगी।
केंद्र सरकार पहले ही जून, 2020 में राज्यों को खुले बाजार से उधारी के जरिये 0.50 फीसदी जुटाने की अनुमति दे चुकी है। इससे राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम मिली।
सामान्य समय में राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 फीसदी से अधिक उधारी नहीं ले सकते हैं।
हालांकि, कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर पड़े असर के कारण राज्यों की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो गई।
मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एक विश्लेषण के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान 14 राज्यों की प्राप्तियों में सालाना आधार पर 18.2 फीसदी की की कमी आई जबकि खर्च में महज 2.7 फीसदी का इजाफा हुआ। विवरण से पता चलता है कि राज्यों की प्राप्तियां जिसमें केंद्र का हस्तांतरण शामिल है 32.1 फीसदी घट गई और इस दौरान गैर-कर राजस्व में 27 फीसदी की कमी आई।
इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2020-21 के पांच महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें अब तक जीएसटी का मुआवजा नहीं मिला है।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के लिए उक्त राज्यों में से कर्नाटक का जीएसटी मुआवजा 13,763 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश का 4,627 करोड़ रुपये, तेलंगाना का 5,424 करोड़ रुपये, गोवा का 987 करोड़ रुपये और त्रिपुरा का 259 करोड़ रुपये का है।
वित्त मंत्रालय ने अनुमान जताया है कि इस साल मुआजवा जरूरत और मुआवजा उपकर संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये का अंतर रहेगा। इस अंतर को पूरा करने के लिए उसने राज्यों को रिजर्व बैंक के माध्यम से 97,000 करोड़ रुपये उधार लेने या 2.35 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाने का विकल्प दिया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक 21 राज्यों ने इसमें से पहले विकल्प का चयन किया है। इसके बाद जीएसटी परिषद की बैठक में मतदान की नौबत आने पर वित्त मंत्रालय को इस निर्णय को पारित कराने के लिए पर्याप्त मजबूती मिलेगी।
हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि राज्यों की मुआवजा आवश्यकता वित्त मंत्रालय की ओर से बताई गई रकम से कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए इक्रा ने कुल अंतर 2.92 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है।
