केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अक्टूबर के अंत में 5.47 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2021-22 के सालाना बजटीय लक्ष्य का 36.3 प्रतिशत है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से राजस्व संग्रह में सुधार से राजकोषीय घाटा कम रहा है। घाटे का आंकड़ा चालू वित्र्त में पहले के वित्त वर्ष की तुलना में बेहतर नजर आ रहा है, जब व्यय और राजस्व के बीच अंतर बताने वाला राजकोषीय घाटा पिछले साल आलोच्य अवधि में 2020-21 के बजटीय अनुमान का 119.7 प्रतिशत पहुंच गया था। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से कोविड-19 से निपटने के लिए खर्च बढऩे से हुई थी।
सीजीए ने कहा कि कुल मिलाकर राजकोषीय घाटा अक्टूबर, 2021 के अंत तक 5,47,026 करोड़ रुपये रहा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8 प्रतिशत या 15.06 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि उत्पाद और सीमा शुल्क में राहत दिए जाने से राजस्व कम होने के बावजूद केंद्र सरकार का सकल कर राजस्व 2021-22 के बजट अनुमान से उल्लेखनीय रूप से 1.8 लाख करोड़ रुपये ज्यादा रहने की संभावना है, जिसमें से 60,000 करोड़ रुपये राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा बजट अनुमान से ज्यादा अधिशेष हस्तांतरण से हम उम्मीद करते हैं कि सरकार की शुद्ध राजस्व प्राप्तियां 2021-22 के बजट अनुमान से 1.7 लाख करोड़ रुपये ज्यादा होंगी।’
