अर्थव्यवस्था

EY India: मध्यम अवधि की वृद्धि के लिए बजट में बुनियादी ढांचे और राजकोषीय मजबूती पर ध्यान

राजकोषीय घाटा साल 2020-21 के 9.17 फीसदी से घटकर 2023-23 में 5.6 फीसदी रह गया है।

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राघव अग्रवाल   
Last Updated- June 26, 2024 | 9:49 PM IST

आगामी बजट में भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि को बनाए रखने पर जोर दिया जा सकता है। सलाहकार दिग्गज ईवाई इंडिया ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि इसके लिए बुनियादी ढांचे के विस्तार और राजकोषीय मजबूती सुनिश्चित करने पर ध्यान होगा।

इसमें कहा गया है कि भारत ने वर्ष 2023-24 के दौरान 8.2 फीसदी जीडीपी वृद्धि के साथ वापसी के संकेत दिए हैं, जिसके पहले के दो वित्त वर्षों में 9.7 और 7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं, इस दौरान राजकोषीय घाटा साल 2020-21 के 9.17 फीसदी से घटकर 2023-23 में 5.6 फीसदी रह गया है।

इसमें कहा गया है कि आगे की स्थिति देखें तो वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय रणनीति का लक्ष्य पूंजीगत व्यय और राजकोषीय घाटे के बीच संतुलन बनाए रखने पर होगा। इसमें कहा गया है कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि करीब 11 फीसदी रहने का अनुमान है। ऐसे में बढ़े हुए कर व गैर कर राजस्व के कारण सरकार के पास पर्याप्त राजकोषीय गुंजाइश होगी।

साथ ही इसमें कहा गया है, ‘अतिरिक्त राजकोषीय गुंजाइश का इस्तेमाल राजकोषीय घाटा कम करके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5 फीसदी पर लाने के लिए किया जा सकता है। दूसरी तरफ, पूंजीगत व्यय बढ़ाकर जीडीपी का 3.4 फीसदी किए जाने की संभावना है, जिससे वित्त वर्ष 2025 में इसमें 17.5 फीसदी की वृद्धि होगी।’ केंद्र सरकार का मकसद वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा कम करके 4.5 फीसदी करना है।

First Published : June 26, 2024 | 9:44 PM IST