अर्थव्यवस्था

ICT उत्पादों पर भारत के सीमा शुल्क को लेकर छिड़ा विवाद, EU ने दी चेतावनी

WTO के समाधान निकाय ने अपने फैसले में कहा था कि भारत द्वारा आईसीटी उत्पादों पर शुल्क लगाना बहुपक्षीय व्यापार निकाय के तहत सूचना प्रौद्योगिकी समझौते का उल्लंघन है

Published by
असित रंजन मिश्र
Last Updated- April 24, 2023 | 9:53 PM IST

मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों पर सीमा शुल्क के मामले में भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापारिक तनाव पैदा हो सकता है। EU ने धमकी दी है कि अगर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स सामान पर सीमा शुल्क के मामले में विश्व व्यापार संगठन (WTO) का फैसला नहीं मानता है तो जवाब में वह भी भारत से आयात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क लगा देगा।

WTO की दूसरी शीर्ष निर्णायक संस्था विवाद समाधान निकाय ने 17 अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and communication technology-ICT) उत्पादों पर भारत द्वारा शुल्क लगाए जाने से WTO के सूचना प्रौद्योगिकी समझौते का उल्लंघन हुआ है, जिसका पालन करने का वादा भारत ने किया था। लेकिन भारत सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया कि फैसले का तत्काल कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि भारत WTO के भीतर अपील की सर्वोच्च निर्णायक संस्था में अपील करेगा। बहरहाल यह संस्था अभी काम नहीं कर रही क्योंकि अमेरिका ने उसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति रोक दी है।

इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड ने यूरोपीय संघ से कुछ सवाल पूछे थे, जिसके लिखित जवाब में EU प्रवक्ता ने कहा, ‘WTO के ठप पड़े अपील निकाय में अपील होती है तो EU चाहे तो अपने कानूनों का इस्तेमाल कर सीमा शुल्क लगा सकता है या अन्य प्रतिबंध लगा सकता है।’

प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली और विश्व व्यापार संगठन को लगातार समर्थन दिया है। भारत को वास्तव में कुछ गलत लगता है तो उसके पास पैनल की रिपोर्ट के खिलाफ अपील करने का अधिकार है। WTO का अपील निकाय नहीं होने पर बहुपक्षीय अंतरिम अपील मध्यस्थता समझौता (MPIA) या वैकल्पिक अपील व्यवस्था में अपील की जा सकती है। यूरोपीय संघ ने अपील के इन दोनों तरीकों पर भारत के साथ बात करने की पेशकश पिछले महीने की थी।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 18 अप्रैल को खबर दी थी कि यूरोपीय संघ ने MPIA के जरिये मामला सुलझाने के लिए भारत से संपर्क किया है। मगर भारत ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि वह MPIA के विरुद्ध है और WTO के अपील निकाय की बहाली के पक्ष में है।

Also Read: कायम रहेगी भारत के वृद्धि की रफ्तार: वित्त मंत्री

MPIA का गठन अप्रैल 2020 में वैकल्पिक तंत्र के रूप में किया गया था, जिसमें EU, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की अगुआई में WTO के 53 सदस्य शामिल हैं। इसका मकसद WTO अपील निकाय नहीं चलने पर सदस्य देशों के WTO से संबंधित विवादों को निपटाना है।
यूरोपीय संघ का दावा है कि भारत के इस शुल्क से उसे निर्यात किए जाने सालाना 60 करोड़ यूरो मूल्य के प्रौद्योगिकी उत्पादों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

WTO में भारत के पूर्व दूत जयंत दासगुप्ता ने कहा कि EU MPIA के तहत मध्यस्थता में जाने का दबाव भारत पर नहीं डाल सकता क्योंकि यह वैकल्पिक व्यवस्था है और ऐसा करने के लिए दोनों पक्षों को सहमत होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय संघ के अपने कानून हो सकते हैं और उसे लग सकता है कि वह ऐसा करने में सक्षम है लेकिन यह WTO के अनुरूप नहीं है। यह एकतरफा और प्रतिशोधात्मक होगा। WTO द्वारा इसकी अनुमति तब दी जाती है जब कोई देश अपील निकाय के निर्णय का पालन नहीं करता है।’ उन्होंने कहा कि अगर यूरोपीय संघ बदले की भावना में आकर कार्रवाई करता है तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

Also Read: FTA में दबाव में आ सकता है ब्रिटेन, यूके की संसदीय समिति ने दी चेतावनी

यूरोपीय संघ अगली मुक्त व्यापार वार्ता (FTA) में इस मसले को उठाएगा या नहीं, इसका सीधा जवाब न देते हुए यूरोपीय संघ के प्रवक्ता ने कहा, ‘यूरोपीय संघ और भारत के बीच FTA पर बातचीत चल रही है और दोनों पक्षों के बीच व्यापार बाधाएं दूर करने समेत व्यापारिक रिश्तों पर बातचीत करने का यह हमारा मंच है।’

यूरोपीय संघ और भारत के बीच एफटीए पर 5वें दौर की वार्ता 19 से 23 जून तक नई दिल्ली में होगी।

First Published : April 24, 2023 | 9:53 PM IST