कोविड-19 महामारी के बाद से भारत की बेरोजगारी दर में कमी आई है, लेकिन हाल में कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने वाले और 25 वर्ष से कम उम्र के स्नातक युवाओं को नौकरी ढूंढने में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट से इसका अंदाजा मिला है। हालांकि भारत की बेरोजगारी दर, वर्ष 2019-20 (वित्त वर्ष 2020) के 8.8 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2021 में 7.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 में 6.6 प्रतिशत हो गई। मगर अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा जारी ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023’ रिपोर्ट के मुताबिक युवा स्नातकों के बीच बेरोजगारी दर 42.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है।
दूसरा सबसे अधिक बेरोजगार समूह, स्नातक या उच्च योग्यता वाले युवाओं का है जिनकी उम्र 25-29 वर्ष के बीच है और इनके बीच बेरोजगारी दर 22.8 प्रतिशत है। इसके बाद उच्च माध्यमिक स्तर की योग्यता वाले और 25 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों में बेरोजगारी दर 21.4 प्रतिशत है।
दिलचस्प बात यह है कि वैसे स्नातक युवा जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम है, उनके बीच बेरोजगारी दर में 40 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है जबकि जो 35 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं उनके लिए बेरोजगारी दर में 5 प्रतिशत से भी कम ही कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे संकेत मिलते हैं कि स्नातकों को औसतन 20-30 साल की उम्र के बीच में या 30-40 वर्ष उम्र के शुरुआती दौर में नौकरी मिल जाती है। हालांकि, उन्हें कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके निकलने के तुरंत बाद नौकरी नहीं मिल सकती है।
रिपोर्ट में एक और सवाल पेश किया गया है कि क्या ये नौकरियां इन छात्रों के कौशल और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हैं। इसमें कहा गया, ‘इस अहम विषय पर अधिक शोध करने की आवश्यकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर भले ही कम हो रही है लेकिन कमाई की दर स्थिर रही है। इसमें कहा गया है, ‘कम बेरोजगारी के साथ-साथ आमदनी स्थिर होने की समस्या है जिससे संकेत मिलते हैं कि कामकाजी लोगों की मांग उतनी ज्यादा नहीं है।’
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाजी वर्ग की लगातार कम होती मांग का बोझ मौजूदा कामगारों पर ही डाला जा रहा है। वर्ष 2021-2022 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के मुताबिक श्रम से होने वाली कुल घरेलू आमदनी में वर्ष 2017-18 से ही 1.7 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ोतरी हुई है।
दिलचस्प बात यह भी है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में 9.9 प्रतिशत की दर के साथ उच्च स्तर की बेरोजगारी दर है। हालांकि, पिछले चार वर्षों में इसमें 12 प्रतिशत से अधिक की कमी देखी गई है। इस समूह के बाद शहरी पुरुषों में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत और ग्रामीण पुरुषों में 6.5 प्रतिशत है। वहीं वित्त वर्ष 2022 में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में बेरोजगारी दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में एक और अहम बात पर जोर दिया गया है। पिछले पांच वर्षों में महिलाओं की कार्यबल भागीदारी दर (डब्ल्यूपीआर) में सुधार हुआ है, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में। लेकिन ऐसा नौकरियों की संख्या में बढ़ोतरी के चलते नहीं हुआ है। इसकी मुख्य वजह स्वरोजगार में आई तेजी है।
महामारी के बाद, कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी वर्ष 2020 के अप्रैल-जून के 72.4 से कम होकर वर्ष 2022 के अप्रैल-जून के बीच 69.1 प्रतिशत हो गई। वहीं दूसरी ओर, कुल महिला कार्यबल में स्व-नियोजित महिलाओं की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 57.8 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत हो गई है।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला कार्यबल की भागीदारी में एक मौसमी रुझान भी देखा जाता है। आमतौर पर काम वाले सीजन के दौरान कार्यबल का हिस्सा बनती हैं और जब सीजन न हो तो उनकी हिस्सेदारी घट जाती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाओं द्वारा ‘देखभाल से जुड़े काम और अन्य घरेलू कामकाज में खर्च किए गए समय में कोई कमी आई’ है।
रिपोर्ट में कहा भी गया है, ‘इंडिया वर्किंग सर्वे में हमने पाया है कि महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ने के साथ ही घर के काम में दिए जाने वाले समय में और बढ़ोतरी हो सकती है।‘