भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक का जोर अब इस बात पर होगा कि रीपो रेट में कटौती का लाभ बैंकों से लोन लेने वालों को मिले। उन्होंने यह भी कहा कि आगे जमा दरों में नरमी आने का अनुमान है और लोगों से अपील की कि वे बचत के लिए धन जमा करते समय चालू ब्याज दर के बजाय वास्तविक ब्याज दर को देखें, जो अभी काफी ऊंची है।
नीतिगत समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”हमने रीपो रेट में फिर 0.25 फीसदी की कटौती की है। अब हमें मौद्रिक नीति का लाभ आगे पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित करना है।” इस साल आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दर में कुल 1.25 फीसदी की कमी की है।
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गवर्नर ने बताया कि आरबीआई को उम्मीद है कि जमा दरें और नीचे आएंगी। उन्होंने कहा, ”हम उम्मीद करते हैं कि आगे चलकर, खासकर इस कटौती के बाद, जमा दरें कुछ हद तक और कम होंगी।” मल्होत्रा ने कहा कि कम महंगाई से जमा करने वाले को वास्तविक लाभ ज्यादा होता है, क्योंकि महंगाई का घटक बहुत कम है। उन्होंने कहा, ”जब महंगाई इतनी कम है और आगे भी कम रहेगी, तो भले ही ब्याज दर कम लगे, लेकिन महंगाई के मुकाबले ब्याज दरें काफी ऊंची हैं।”
उधारी के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि आरबीआई को उम्मीद नहीं है कि बैंक लोन ग्रोथ जीडीपी ग्रोथ से दोगुनी हो जाए। वित्त वर्ष 2011-12 से पहले ऐसा था और उस दौरान सिस्टम में भारी मात्रा में फंसे कर्ज जमा हो गए थे। एक सवाल के जवाब में मल्होत्रा ने बताया कि सेबी से बैंकों को जिंस वायदा-विकल्प में कारोबार की इजाजत देने का प्रस्ताव आया है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन चाहिए और आठ साल पहले भी ऐसा ही प्रस्ताव खारिज हो चुका है।
इस बीच डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा कि सितंबर तिमाही में व्यक्तिगत कर्ज, क्रेडिट कार्ड से जुड़े लोन समेत असुरक्षित कर्जों के मामले में एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में 0.08 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सिस्टम के नजरिए से यह कोई बड़ी बात नहीं है।
(PTI इनपुट के साथ)