अर्थव्यवस्था

Economic Survey 2024: सप्लाई से जुड़ी हैं कीमतें, महंगाई का लक्ष्य तय करने में खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर न हो विचार

CEA वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि केंद्रीय बैंक पर महंगाई नियंत्रित करने का जरूरत से अधिक दबाव डालना अनुचित है क्योंकि खाद्य वस्तुओं जैसे प्रमुख घटक इसके नियंत्रण में नहीं हैं।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- July 22, 2024 | 11:12 PM IST

Economic Survey 2024: वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में महंगाई लक्ष्य तय करते समय खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर विचार नहीं करना चाहिए। समीक्षा में कहा गया है कि ऐसा इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतें आपूर्ति से जुड़ी होती हैं, न कि अधिक मांग से। आर्थिक समीक्षा 2023-25 में ये बातें कही गई है। साथ ही समीक्षा में यह भी सुझाव दिया गया है कि किसानों के हित में बाजार कैसे काम कर सकता है।

महंगाई लक्षित ढांचे की दोबारा जांच का सुझाव देते हुए समीक्षा में कहा गया है कि जब खाद्य कीमतें बढ़ती हैं तो महंगाई लक्ष्य जोखिम के घेरे में आ जाता है, जो केंद्रीय बैंक को सरकार से अपील करने को प्रोत्साहित करता है कि वह खाद्य उत्पादों की बढ़ी कीमतों को नीचे लाए। इससे किसान अपने हक में कारोबार कर इस बढ़त से लाभ हासिल नहीं कर पाते।

समीक्षा में कहा गया है,’उच्च खाद्य कीमतें अक्सर मांग में बढ़ोतरी पर आधारित नहीं होती बल्कि आपूर्ति से इसका लेनादेना होता है। अल्पावधि वाली मौद्रिक नीति के हथियार मांग में होने वाली वृद्धि के कारण कीमत पर पड़े दबाव को निष्प्रभावी करने के लिए होते हैं।’

मई 2016 में आरबीआई अधिनियम 1934 को संशोधित किया गया ताकि महंगाई लक्षित लचीले ढांचे के क्रियान्वयन को सांविधिक आधार दिया जा सके।

समीक्षा में कहा गया है, ‘क्या भारत का महंगाई लक्षित ढांचा खाद्य को छोड़कर महंगाई की दर को लक्षित कर सकता है, इसकी संभावना तलाशना अहम होगा। उच्च खाद्य कीमतों के कारण गरीबों व कम आय वाले ग्राहकों होने वाली परेशानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या कुछ खास खरीदारी के लिए कूपन जारी कर दूर की जा सकती है।’

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि केंद्रीय बैंक पर महंगाई नियंत्रित करने का जरूरत से अधिक दबाव डालना अनुचित है क्योंकि खाद्य वस्तुओं जैसे प्रमुख घटक इसके नियंत्रण में नहीं हैं।

नागेश्वरन ने कहा, ‘मौद्रिक नीति एक छोटी अवधि में मांग प्रबंधन का जरिया है मगर इससे आपूर्ति व्यवस्था में आने वाली बाधाएं दूर नहीं की जा सकती। खाद्य वस्तुओं के मोर्चे पर उठापटक मुख्यतः आपूर्ति तंत्र में बाधा से जुड़ी है। इस तरह, केंद्रीय बैंक पर महंगाई नियंत्रित करने का अत्यधित दबाव डालना थोड़ा बेजा लगता है क्योंकि मुद्रास्फीति के कुछ खास घटक इसके नियंत्रण में नहीं है।’

नागेश्वरन ने कहा कि आर्थिक समीक्षा में इसी विचार को रखा गया है। उन्होंने कहा कि कई देश ऐसे हैं जहां महंगाई लक्ष्य निर्धारित करते समय यह बहस उठती है। नागेश्वरन ने कहा, ‘क्या उन्हें समग्र या प्रमुख महंगाई दर को लक्ष्य करना चाहिए? खाद्य एवं ऊर्जा मोटे तौर पर आपूर्ति व्यवस्था से जुड़े हैं। भारत के लिए यह मुद्दा नया नहीं है।’

31 मार्च 2021 में केद्र सरकार ने महंगाई लक्ष्य और इसका दायरा अगले पांच वर्षों- 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026- के लिए बरकरार रखा। आरबीआई ने खुदरा महंगाई का लक्ष्य 4 प्रतिशत रखा है।

First Published : July 22, 2024 | 11:12 PM IST