प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के जरिये विदेशी संसाधनों की शुद्ध आवक अप्रैल-जून 2025 (वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) में बढ़कर 4.6 अरब डॉलर हो गई जबकि यह अप्रैल-जून 2024 (वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही) में 2.8 अरब डॉलर थी। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से मिली।
रिजर्व बैंक ने मासिक बुलेटिन (अगस्त 2025) में कहा कि वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में बाहरी वाणिज्यिक उधारी का पंजीकरण सुस्त था।
हालांकि विदेशी मुद्रा बाहर भेजे जाने की तुलना में उसकी आवक निरंतर अधिक रही। इससे शुद्ध आवक सकारात्मक रही। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में ईसीबी का पंजीकरण घटकर 9.1 अरब डॉलर हो गया था और यह वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही के 11.1 अरब डॉलर से कम था। इसने बताया कि बाहरी वाणिज्यिक उधारी और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से जुटाई गई धनराशि पिछली तिमाही की तुलना में थोड़ी कम थी।
तिमाही के विश्लेषण से जानकारी मिलती है कि जून में शुद्ध आवक महज 0.2 अरब डॉलर थी और यह मई 2025 के 1.2 अरब डॉलर से कम थी। ईसीबी पंजीकरण जून में बढ़कर 3.5 अरब डॉ़लर हो गए थे और यह मई 2025 के 2.7 अरब डॉलर से अधिक थे।