अर्थव्यवस्था

Direct Tax: प्रत्यक्ष कर संग्रह में दिल्ली को पछाड़ेगा बेंगलूरु, मुंबई सबसे आगे

मुंबई में सबसे ज्यादा 31 फीसदी प्रत्यक्ष कर संग्रह मगर पिछले साल के 37 फीसदी से कम

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श्रीमी चौधरी, इंदिवजल धस्माना
Last Updated- April 11, 2023 | 10:00 PM IST

वैश्विक और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) दिग्गजों का ठिकाना बेंगलूरु प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) में दूसरा सबसे अधिक योगदान देने वाला शहर बनने वाला है। मुंबई इस मामले में सबसे आगे है और फिलहाल दिल्ली दूसरे पायदान पर है। मगर आयकर विभाग का आंतरिक विश्लेषण बताता है कि बेंगलूरु में दिल्ली से ज्यादा प्रत्यक्ष कर संग्रह होने जा रहा है।

भारत की प्रौद्योगिकी राजधानी कहलाने वाले बेंगलूरु में 2007-08 से 2022-23 के बीच प्रत्यक्ष कर संग्रह में सबसे अधिक 625 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्त वर्ष में वहां से 2.04 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर जुटा, जबकि वित्त वर्ष 2008 में केवल 32,692 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर वहां से आया था।

वित्त वर्ष 2023 में मुंबई से 4.95 लाख करोड़ रुपये और दिल्ली से 2.07 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर आया। 2007-08 में मुंबई से 1.14 लाख करोड़ रुपये और दिल्ली से 47,639 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर आया था। विश्लेषण में पता चला है कि कुल प्रत्यक्ष कर में मुंबई का योगदान सबसे ज्यादा ही रहा मगर पिछले वित्त वर्ष में उसकी हिस्सेदारी 31 फीसदी रही, जो 2007-08 में 37 फीसदी था।

बजट में 2022-23 के लिए 14.20 लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान जताया गया था, जो बाद में संशोधित कर 16.50 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। लेकिन वास्तविक प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से 16.97 फीसदी और संशोधित अनुमान से 0.69 फीसदी अधिक रहा। चालू वित्त वर्ष के लिए 18.22 लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कर विभाग के एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बेंगलूरु में वृद्धि की मुख्य वजह स्टार्ट-अप का तंत्र है, जिसके कारण व्यक्तिगत कर संग्रह में तेजी आई है। साथ ही आईटी कंपनियों ने भी पिछले कुछ वर्षों में कई गुना वृद्धि की है। इन्फोसिस और विप्रो सबसे ज्यादा अग्रिम कर देने वालों में हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि बेंगलूरु जैसे शहरों में कर संग्रह बढ़ने के कारण ही देश भर में प्रत्यक्ष कर इतनी तेजी से बढ़ा है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में मुंबई की घटती हिस्सेदारी पर अधिकारी का कहना था कि पिछले कुछ वर्षों में कंपनियों के दफ्तर दूसरे क्षेत्रों में जाने के कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले तकरीबन सभी बैंकों और बड़ी कंपनियों के पंजीकृत दफ्तर मुंबई में होते थे और कर भी एक ही जगह से जाता था। मगर साल दर साल कंपनियों की स्थायी लेखा संख्या (पैन) मुंबई के बजाय दूसरे स्थानों पर चली गईं क्योंकि कंपनियों के दफ्तर जगह-जगह खुल गए।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई की कुल हिस्सेदारी 2022-23 में बढ़कर 44 फीसदी हो गई। पिछले वित्त वर्ष में चेन्नई से 1.05 लाख करोड़ रुपये, पुणे से 91,973 करोड़ रुपये और हैदराबाद से 88,483 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर मिला था।

राजस्व विभाग चाहता है कि इस मामले में पिछड़े हुए उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य भी बेंगलूरु का मॉडल अपनाएं और कर संग्रह में अहम योगदान करें। उदाहरण के लिए 2008 में केवल 2,368 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह करने वाले पटना में 2023 में 15,000 करोड़ रुपये कर आया। इसी तरह लखनऊ का कर संग्रह 2008 के 2,246 करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 13,823 करोड़ रुपये हो गया।

First Published : April 11, 2023 | 10:00 PM IST