वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रावधानों के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के गलत दावे को लेकर कुछ शीर्ष परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को जल्द ही कर की मार झेलनी पड़ सकती है।
आयकर विभाग की जांच इकाई माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) मुंबई और कोलकाता के 7 से 8 म्युचुअल फंड हाउसों की जांच कर रहा है। इन पर वर्ष 2017-18 के दौरान गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का आरोप है। कहा गया है कि इन फंड हाउसों ने अपने बहीखाते में योजना की लागत को पूंजीगत खर्च दिखाकर गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। किसी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी द्वारा किया गया कुल खर्च प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) का 2.25 फीसदी तक हो सकता है। इसमें चैनल पार्टनर/ वितरकों को किए गए भुगतान शामिल हैं।
इस जांच से अवगत दो लोगों ने बताया कि कुछ मामलों में जीएसटी देनदारी को कम करने के लिए खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया गया जो निर्धारित सीमा से बहुत अधिक है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले दो-तीन महीनों के दौरान डीजीजीआई ने इन परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के बहीखातों में खर्च संबंधी दावों की जांच की। इसमें वितरकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं एवं संबंधित साक्ष्यों के अलावा वितरकों के साथ अनुबंध विवरण के बारे में पूछताछ भी शामिल है। उन्होंने म्युचुअल फंड योजनाओं की खरीद-बिक्री की सुविधा देने वाले कुछ ऑनलाइन बिचौलियों के बयान भी दर्ज किए हैं।’
अधिकारियों के अनुसार, विभाग ने इस साल के आरंभ में ही जांच शुरू कर दी थी। यह मामला काफी जटिल है और इसलिए इसमें व्यापक जांच की जरूरत है। अंतिम जांच रिपोर्ट इस महीने के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है और उसी के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे। फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि गलत तरीके से कितने क्रेडिट के लिए दावे किए गए हैं। मगर, एक आकलन के अनुसार यह म्युचुअल फंड उद्योग की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का करीब 0.5 फीसदी हो सकता है। कर देनदारी 500 से 1,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की भी जांच की जा रही है कि कहीं इस फर्जीवाड़े में वितरकों की भी संलिप्तता तो नहीं है अथवा इस प्रकार की गतिविधियां अब भी जारी तो नहीं हैं।
ईवाई इंडिया के पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, ‘एएमसी कारोबार के तहत खरीद एवं प्रबंधन मद में किए गए खर्च जीएसटी के तहत बिना की सीमा के बिना इनपुट के तौर पर स्वीकार्य हैं। लेकिन इन आपूर्ति की प्रकृति पर विवाद हो सकता है जो व्यक्तिगत तथ्यों पर आधारित होता है।’
एक सूत्र ने कहा कि इस मामले से इनपुट टैक्स क्रेडिट की अस्वीकृति भी हो सकती है और ब्याज के साथ अतिरिक्त कर का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है। इसलिए फंड हाउसों को प्रदान की गई सेवाओं की प्रकृति, सीमा और मात्रा के आधार पर दावा किए गए क्रेडिट को सही ठहराना होगा।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘कुछ म्युचुअल फंड जिस इनपुट टैक्स क्रेडिट मुद्दे से जूझ रहे हैं उसे स्पष्ट करना आवश्यक है क्योंकि जीएसटी के मामले में किसी भी भ्रम से लाभप्रदता और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।’