वित्त मंत्रालय के लिए बढ़ती महंगाई अच्छी खबर है, क्योंकि इससे वह वित्त वर्ष 22 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के करीब आ सकता है। बढ़ती दरें सरकार की उधारी लागत पर दबाव बढ़ा रही हैं, इसके बावजूद यह अच्छी खबर बनी रहने की संभावना है।
नैशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी के निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की उधारी की औसत लागत बहुत ज्यादा नहीं बदलेगी।’
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में भारित औसत उधारी लागत 5.70 प्रतिशत थी, जो पिछले 17 साल में सबसे कम थी। वहीं भारित औसत परिवक्वता की अवधि 14.49 साल थी।
केंद्र सरकार व राज्यों का संयुक्त घाटा कम रहने की उम्मीद है। पिछले सप्ताह जारी इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्यों ने वित्त वर्ष की शुरुआत में जितनी उधारी की घोषणा की थी, उसकी तुलना में उनकी वास्तविक सकल उधारी 10 प्रतिशत कम है।
संतुलन का गणित
सभी मंत्रालयों के साथ चर्चा करीब खत्म होने के बाद वित्त मंत्रालय का भी यही विचार है। ऐसा लग रहा है कि वित्त वर्ष 22 के लिए राजकोषीय घाटे का 6.8 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल हो जाएगा। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति विभाग ने कहा है कि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की बिक्री और भारतीय जीवन बीमा निगम की सूचीबद्धता वित्त वर्ष 22 में होगी और इससे सरकार को 1.75 लाख करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। ज्यादा महंगाई दर (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-सीपीआई या थोक मूल्य सूचकांक-डब्ल्यूपीआई) से अनुमानित राजकोषीय घाटा कम करने में मदद मिलती है, इसकी वजह साधारण है। राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय और प्राप्त राजस्व के बीच का अंतर होता है। राजस्व प्राप्तियों व पूंजीगत प्राप्तियों की गणना नॉमिनल जीडीपी के प्रतिशत के रूप में की जाती है। नॉमिनल जीडीपी की गणना मौजूदा मू्ल्य के आधार पर होती है, जिसमें महंगाई शामिल होती है। ऐसे में ज्यादा महंगाई दर घाटे को कम करती है क्योंकि ज्यादा सब्सिडी नॉमिनल जीडीपी को कम करती है।
अगर अगले वित्त वर्ष में भी ज्यादा महंगाई दर बनी रहती है तो इससे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्त वर्ष 23 के लिए नीतिगत चयन में दिक्कत हो सकती है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, कलकत्ता में फाइनैंस के विजिटिंग प्रोफेसर दीप एन मुखर्जी ने कहा, ‘स्टेरायड की तरह से ज्यादा महंगाई दर शुरुआत में सरकारी आंकड़ों में बेहतर नजर आती है, लेकिन बाद के वर्षों में यह किसी भी आंकड़े के सही अनुमान को मुश्किल बना देती है।’
उधारी का गणित
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने पाया है कि वित्त वर्ष 22 में केंद्र सरकार का व्यय वित्त वर्ष 21 की तुलना में पीछे है। लेखा महानियंत्रक के अद्यतन मासिक आंकड़ों के मुताबिक केंद्र का व्यय वित्त वर्ष 22 के पहले 6 महीनों में बजट अनुमान का 46.7 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल यह 48.6 प्रतिशत था। इसमें पूंजीगत और राजस्व व्यय दोनों शामिल है। अतिरिक्त राजस्व व्यय में कोविड मदद के रूप में हर महीने हर व्यक्ति 5 किलो अतिरिक्त अनाज दिया जाना शामिल है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना इस महीने में खत्म हो रही है। कुल मिलाकर खाद्यान्न और उर्वरक सब्सिडी बजट लक्ष्य को पार कर जाएगी।
वित्त मंत्रालय जहां प्रमुख मंत्रालयों की व्यय योजना को लेकर इस साल की शुरुआत से उदार रहा है, वहीं पूरे बजट खर्च को लेकर कठिन लक्ष्य दिया गया है। कोविड के पहले के वित्त वर्ष 2020 में स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालयों का बजट करीब 1 लाख करोड़ रुपये था और साल के अंत में 47,808 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए थे। इस साल व्यय मानकों में राहत दिए जाने से बजट में आवंटित पूरी राशि खत्म होने को है। इस वजह से आर्थिक मामलों के विभाग ने उधारी कार्यक्रम में बढ़ोतरी का कोई अनुमान नहीं लगाया है। ज्यादा ब्याज दरें उधारी पर ब्याज का बोझ नहीं बढ़ाएंगी, जैसा कि चक्रवर्ती का मानना है, और यह वित्त वर्ष 22 में 8.09 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है। ज्यादा महंगाई दर और ब्याज दरों में उसके मुताबिक बढ़ोतरी का असर वित्त वर्ष 2023 में सरकार के वित्त पर नजर आएगा।