व्यापार घाटे में तेज संकुचन के साथ भार का चालू खाता अधिशेष (सीएबी) वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में रिकॉर्ड 19.8 अरब डॉलर हो गया, जो जीडीपी का 3.9 प्रतिशत है। वहीं वित्त वर्ष 20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2019) में 15 अरब डॉलर (जीडीपी का 2.1 प्रतिशत) घाटा हुआ था।
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान मेंं कहा है कि अप्रैल-जून 2020 (वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही) के दौरान 0.6 अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद का 0.1 प्रतिशत) अधिशेष पहले की तिमाही (वित्त वर्ष 20 की चौथी तिमाही) से आया है। यह अधिशेष व्यापार घाटे में 10 अरब डॉलर की तेज गिरावट की वजह हुआ है क्योंकि देश में सालाना आधार पर वाणिज्यिक वस्तुओं का आयात, निर्यात की तुलना में तेजी से घटा है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में चालू खाते का अधिशेष हमारी उम्मीदों से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि घरेलू व वैश्विक लॉकडाउन की वजह से निर्यात व आयात प्रभावित हुआ है।
केयर रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि जुलाई और अगसस्त 2020 की धारणा देखें तो पता चलता है कि वित्त वर्ष 21 की दूसरी छमाही में भी अधिशेष की उम्मीद है। उन्होंने कहा,’इस तिमाही में भी सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट के आसार हैं, ऐसे में हम उम्मीद कर सकते हैं कि चालू खाता अधिशेष वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का 2 से 3 प्रतिशत तक रह सकता है।’
सेवा से कुल प्राप्तियां स्थिर रही हैं, खासकर कंप्यूटर सेवाओं से शुद्ध कमाई हुई है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजे गए थन से निजी हस्तांतरण प्राप्तियां 18.2 अरब डॉलर रहीं, जिसमें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।
प्राथमिक आय खाता से शुद्ध प्रवाह, जिससे विदेश में निवेश से आय का पता चलता है, बढ़कर 7.7 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 6.3 अरब डॉलर था।
वित्तीय खाते में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह 0.4 अरब डॉलर रहा, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 14 अरब डॉलर था। शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश 0.6 अरब डॉलर था, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 4.8 अरब डॉलर था।
