कोविड-19 महामारी आने के बाद से ही कारोबारी परिदृश्य डांवाडोल होने से बड़े पैमाने पर कार्यस्थल से दूर रहते हुए काम करने के इंतजाम और नकदी की किल्लत होने से कारोबारी गतिविधियों को नियम-अनुपालन पर तरजीह दी जाती रही है लेकिन आने वाले समय में यह कई तरह की धांधली का भी सबब बन सकता है।
हाल ही में कराए गए एक सर्वेक्षण में कोरोना की मार से बेहाल कॉर्पोरेट जगत में कई तरह की धोखाधड़ी होने की आशंका जताई गई है। सर्वे के मुताबिक आने वाले 2 वर्षों में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ सकते हैं। कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के बारे में स्वतंत्र निदेशकों के बीच यह सर्वेक्षण डेलॉयट और इंस्टीट्यूट ऑफ डाइरेक्टर्स ने कराया था।
सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि स्वतंत्र निदेशकों के एक बड़े तबके को धोखाधड़ी से बचने के मौजूदा ढांचे की पूरी समझ नहीं है और वे हाल ही में लागू धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (एफआरएम) प्रारूप की मजबूती से भी अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं। सर्वे में शामिल 60 फीसदी स्वतंत्र निदेशकों ने कहा कि उन्हें मौजूदा एफआरएम ढांचे की व्यापक समझ नहीं है।
करीब 63 फीसदी स्वतंत्र निदेशक पहले भी धोखाधड़ी का अनुभव कर चुकने के बावजूद बोर्ड का हिस्सा बनने को तैयार हैं वहीं करीब 75 फीसदी निदेशकों को लगता है कि वे धोखाधड़ी को रोकने, उनकी पहचान करने एवं उससे निपटने के लिए कदम उठा सकते हैं।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, ऐतिहासिक तौर पर आंकड़े यही दिखाते हैं कि कारोबार में किसी भी तरह का व्यवधान होने पर आगे चलकर धोखाधड़ी के मामले बढ़ जाते हैं और महामारी ने तो कारोबार जगत पर बहुत ज्यादा असर डाला है। रिपोर्ट कहती है, ‘मौजूदा कारोबारी परिदृश्य भी इस प्रवृत्ति से कुछ अलग नहीं होने जा रहा है। कंपनियां अपने कारोबारी तरीकों में बदलाव, कामकाज के नए तरीकों और शिथिल नियामकीय नियंत्रण के बीच संचालित हो रही हैं। उन्हें आगे चलकर धोखाधड़ी एवं कदाचार के बढ़े हुए मामलों से भी निपटना होगा।’
इसके बारे में डेलॉयट इंडिया के साझेदार एवं फॉरेंसिक लीडर निखिल बेदी कहते हैं, ‘नए जोखिम प्रबंधन नियमों के तहत स्वतंत्र निदेशकों पर जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। स्वतंत्र निदेशकों के नजरिये से देखें तो धांधली के संदर्भ में काफी कुछ किया जा सकता है। उन्हें अधिक प्रशिक्षण देकर एवं जागरूक बनाकर बेहतर संसाधनों से लैस किया जा सकता है।’ वह कहते हैं कि धोखाधड़ी जोखिम प्रारूप को अधिक पारदर्शिता के साथ बोर्ड बैठकों के एजेंडे में रखा जाना चाहिए।
सर्वे से पता चला कि दफ्तरों के अचानक सुदूर चले जाने से इलेक्ट्रॉनिक संचार- लिखित एवं मौखिक दोनों में कई गुना वृद्धि हुई जबकि कर्मचारी कम-सुरक्षित परिवेश में काम कर रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि प्रक्रियाओं के अनुपालन के लिए नया कार्य-प्रवाह होने से धोखाधड़ी के लिए चूक की गुंजाइश बन सकती है।
कंपनी अधिनियम 2013 और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार नियामक सेबी के संशोधित कॉर्पोरेट गवर्नेंस मानकों ने धोखाधड़ी के जोखिम से बचने का दायित्व निदेशक मंडल और ऑडिट समिति पर डाला है जिसमें स्वतंत्र निदेशक भी शामिल होते हैं। स्वतंत्र निदेशकों की जिम्मेदारियां एवं जवाबदेही पिछले वर्षों में बहुत ज्यादा बढऩे के बीच सर्वे से यह सामने आया कि 53 फीसदी से अधिक निदेशकों ने ऐसी जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए बेहतर ढंग से सक्षम बनाने की जरूरत बताई है।
बोर्ड के स्तर पर एफआरएम प्रारूप की समय-समय पर समीक्षा नहीं किए जाने का जिक्र करते हुए सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 62 फीसदी से अधिक निदेशकों ने पिछले 18 महीनों में एफआरएम के संबंध में तीन बार भी चर्चा न होने की बात कही है। करीब 22 फीसदी स्वतंत्र निदेशकों ने कर्मचारियों के बीच नैतिकता एवं सत्यनिष्ठा को लेकर जागरुकता बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा है कि धोखाधड़ी एवं कदाचार की घटनाएं सामने आने से एफआरएम प्रारूप बेहतर होगा।
