भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े सेवा क्षेत्र में लगातार छठे महीने अगस्त में भी संकुचन जारी रहा। हालांकि अनलॉक की प्रक्रिया तेज होने की वजह से जुलाई की तुलना में संकुचन कम रहा। इसकी वजह से कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी करने पर बाध्य होना पड़ा है, हालांकि जुलाई की तुलना में इसमें कमी आई है। आईएचएस मार्किट पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) से यह जानकारी मिलती है।
अगस्त महीने में सेवा के लिए पीएमआई बढ़कर 41.8 रहा, जो जुलाई में 34.2 था। पीएमआई 50 से नीचे रहने पर संकुचन और इससे ऊपर रहने पर वृद्धि दिखाता है। इसका मतलब यह है कि सेवा अभी भी वृद्धि के मार्ग से 8 अंक नीचे है। बहरहाल यह रीडिंग मार्च के बाद सबसे ज्यादा है, जब इस महीने के आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन लगाया गया था।
विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में यह धारणा अलग है, जो छह महीने में पहली बार बढ़ा है। बहरहाल सेवा पीएमआई के कारण विनिर्माण व सेवा क्षेत्र की गतिविधियां अगस्त में संकुचित रहीं। सेवा और विनिर्माण का संयुक्त पीएमआई जुलाई के 37.2 की तुलना में अगस्त में बढ़कर 46 हो गया है।
हालांकि इसकी सख्ती से तुलना नहीं की जा सकती है, लेकिन पीएमआई के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के शुरुआती दो महीनों में सकल घरेलू उत्पाद पर विपरीत असर पड़ा है। पहली तिमाही में इसमें 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। सेवा क्षेत्र में ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट और संचार में पहली तिमाही के दौरान 47 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं उन 3 महीनों में विनिर्माण में 39.3 प्रतिशत का संकुचन आया है।
पीएमआई से जुड़ी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि 2019 से चल रही कोरोनावायरस महामारी के प्रतिबंधों के कारण ग्राहकों की मांग और कारोबार के परिचालन पर बुरा असर जारी है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, ‘अगस्त के आंकड़ों से पता चलता है कि एक और महीना है, जब भारत से सेवा क्षेत्र को परिचालन से जुड़ी चुनौतियों से जूझना पड़ा है। घरेलू व विदेशी बाजारों में लंबे समय की बंदी और लॉकडाउन के प्रतिबंधों के कारण उद्योग के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ा है।’ दूसरी तिमाही में राजस्व हानि की स्थिति बनी हुई है और लागत का बोझ बढऩे के कारण कंपनियों ने मार्च के बाद पहली बार शुल्क बढ़ाया है। इसमें प्रतिक्रिया देने वालों ने कहा कि उत्पादन में गिरावट अगस्त के दौरान भी मांग की कमी से जुड़ी है। लॉकडाउन के प्रतिबंधों के कारण कुछ उद्योग बंद रहे। उत्पादन में संकुचन की दर कुल मिलाकर ज्यादा रही, हालांकि पहले के सर्वे की तुलना में स्थिति कुछ सुधरी है। इसकी वजह है कि कुछ फर्मों ने कामकाज शुरू कर दिए हैं।
सेवा प्रदाताओं को नया काम मिलने में लगातार छठे महीने अगस्त में गिरावट आई है, क्योंकि बाजार की मांग कम रही है। हालांकि गिरावट की दर 5 महीनों की तुलना में कम रही है।
इसी तरह से भारत के सेवा प्रदाताओं को मिलने वाले नए ऑर्डर में कमी आई है। संकुचन की दर सितंबर 2014 में यह सिरीज शुरू होने के बाद से सबसे कम रही है।
कारोबारी गतिविधियों में गिरावट की वजह से भारत के सेवा क्षेत्र का परिचालन क्षमता से कम पर हो रहा है। परिणामस्वरूप फर्मों ने लगातार छठे महीने कर्मचारियों की छटनी की है। रोजगार में गिरावट हालांकि जुलाई की तुलना में कम रही है।