India’s Fiscal Deficit: फिच रेटिंग्स ने आज यानी सोमवार को एक नोट में कहा कि राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) में लगातार कमी, खासकर अगर टिकाऊ राजस्व बढ़ाने वाले सुधारों द्वारा समर्थित हो तो मध्यम अवधि में भारत की रेटिंग बुनियादी बातों के लिए पॉजिटिव होगी।
गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उम्मीद से कहीं ज्यादा सरप्लस अमाउंट केंद्र सरकार को सौंपने का फैसला किया। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि RBI की तरफ से मिले लाभांश (dividend) से GDP का 5.1 फीसदी राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) का टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी। और साथ ही साथ आगे भी घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि पिछले हफ्ते केंद्रीय बैंक ने भारत सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देने का फैसला किया था। यह एनालिस्ट के पूर्वानुमानों से बहुत ज्यादा और सरकार की तरफ से निर्धारित बजट 1.02 लाख करोड़ रुपये से दोगुने से भी ज्यादा है।
फिच ने कहा कि लोक सभा चुनाव के बाद के बजट में, सरकार या तो वित्त वर्ष 2025 के लिए चालू घाटे के लक्ष्य (current deficit target) को बनाए रखने का विकल्प चुन सकती है या अप्रत्याशित खर्च या बजट से कम राजस्व की भरपाई करने का विकल्प चुन सकती है, उदाहरण के लिए विनिवेश (divestment) से।
नोट में कहा गया है कि अगर सरकार पहला विकल्प चुनती है तो अथॉरिटीज को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नोट में कहा गया है, ‘वैकल्पिक रूप से, पूरे या आंशिक अप्रत्याशित लाभ को बचाया जा सकता है, जिससे घाटा GDP के 5.1 फीसदी से नीचे चला जाएगा।’
फिच ने लिखा, RBI से सरकार को मिला डिविडेंड फिस्कल परफॉर्मेंस के मार्जिन पर अहम हो सकता है, लेकिन यह कई बातों पर निर्भर करता है, जिसमें केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट और एक्सचेंज रेट पर मौजूद एसेट की साइज और परफॉर्मेंस शामिल है।
फिच ने कहा, ‘ट्रांसफर की संभावित अस्थिरता (potential volatility) का मतलब है कि उनके मीडियम टर्म के बारे में महत्वपूर्ण अनिश्चितता है, और हम यह अनुमान नहीं लगाते हैं कि GDP के हिस्से के रूप में डिविडेंड इतने हाई लेवल पर कायम रहेगा।’